दिग्गज पहलवान बनेंगे दंगल का आकर्षण
अयोध्या-
बुढ़वा मंगल के पर्व पर अयोध्या में श्याम क्लब की ओर से आयोजित होने वाले परम्परागत दंगल में राष्ट्रीय ख्याति लब्ध पहलवान आकर्षण का केंद्र होंगे। पिछले दिनों भारतीय कुश्ती महासंघ पर विवादों का साया मंडरा रहा था। यह विवाद फिलहाल थम गया है।
माना जा रहा है कि अयोध्या के पारम्परिक पर्व पर आयोजित होने वाले दंगल में पहलवान अपने कौशल और शक्ति का पराक्रम दिखा सकेंगे। बताते चले कि श्याम क्लब की स्थापना घनश्याम दास पहलवान ने 1974-75 में की थी और तभी से हर बुढ़वा मंगल को कुश्ती दंगल का आयोजन किया जा रहा है। इस क्लब के कई पहलवानों व वालीबाल खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल की और सेना व रेलवे में चयनित भी हुए।
क्लब के संस्थापक घनश्याम दास बताते हैं कि यहां ओपन चैम्पियनशिप का आयोजन होता है और नकद इनामी कुश्ती होती है। पहलवान अपने-अपने बार वर्ग के अनुसार स्वयं अपना प्रतिद्वंद्वी तय करते हैं जिससे जोश और रोमांच बरकरार रहता है। उन्होंने बताया कि हनुमानगढ़ी अखाड़े ने राष्ट्रीय स्तर के पहलवान दिए हैं।
जो इस दंगल में अपना हुनर दिखाएंगे जिसमें रितेश दास व शिवा शामिल हैं। इसी तरह मेरठ के साकिर नूर, मथुरा के गौरव वालियान, टांडा अम्बेडकर नगर के जीशान व जौनपुर के निगम पहलवान के अलावा हाथरस के भारत भीम हरिकेश पहलवान प्रमुख होंगे। इसके अलावा प्रदेश के दर्जनों नामधारी पहलवान भी दंगल में सहभागिता करेंगे। इसके अतिरिक्त पिछले कुछ सालों से महिला पहलवान भी हिस्सेदारी कर कुश्ती को अलग पहचान दे रही है।
अखाड़ा तैयार करने के लिए मिट्टी में सरसों तेल, गली व हल्दी मिलाई जाती है
बुढ़वा मंगल पर आयोजित होने वाले दंगल के अखाड़े का निर्माण कार्य शुरु कर दिया गया है। क्लब के व्यवस्थापक प्रियेश दास का कहना है कि पहलवानों के लिए अखाड़ा मानक के अनुसार ही बनाया जा रहा है जिसकी माप 28 गुणा 30 फिट है। बताया गया कि इस अखाड़े के लिए पीली मिट्टी का प्रबंध किया गया है। इसके साथ मिट्टी में निर्धारित मात्रा में सरसों का तेल व खली के अलावा हल्दी भी मिलाकर लड़ने योग्य अखाड़ा बनाया जा रहा है। इसी अखाड़े पर पहलवान अपने हुनर और ताकत का जलवा बिखेर कर दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। बताया गया कि दंगल में कई जिलों के खलीफा और कोच भी आते हैं जो कि निर्णायक व रेफरी की भूमिका में रहते हैं। ख्याति लब्ध पहलवानों की बड़ी कुश्तियों के लिए समय निर्धारित किया जाता है और उनका निर्णय अंकों के आधार पर होता है जबकि शेष कुश्तियां हार-जीत के जरिए तय होती है।