उत्तराखंड में जिन किसानों के पास जमीन नहीं है, उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ लेने के लिए किसानों के नाम जमीन होना अनिवार्य कर दिया है। अब योजना का लाभ ले रहे हर किसान की खाता खतौनी की जांच होगी। किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी, जिसमें प्रत्येक किसान को एक साल में छह हजार रुपये, तीन किस्त में दिए जा रहे हैं।
शुरुआत में प्रदेश के 9.44 लाख किसानों ने योजना का लाभ लिया, लेकिन इनमें कई अपात्र किसान भी थे। अब केंद्र सरकार योजना में पारदर्शिता और पात्र किसानों को ही सम्मान निधि देने के लिए ई-केवाईसी के साथ जमीन के रिकॉर्ड का सत्यापन कर रही है। सम्मान निधि का लाभ लेने के लिए किसान का नाम राजस्व रिकॉर्ड के खाता खतौनी में होना अनिवार्य कर दिया गया है।
अब तक खाते में आई 1904 करोड़ की राशि
योजना शुरू होने से अब तक प्रदेश के किसानों के खाते में 1904 करोड़ की राशि डीबीटी के माध्यम से जमा हुई है। केंद्र सरकार की ओर से ई-केवाईसी कराने से प्रदेश में सम्मान निधि पाने वाले किसानों की संख्या में कमी आई है। वर्तमान में 6.77 लाख किसानों को सम्मान निधि की किस्त मिल रही है।
गोल खातों से जमीन सत्यापन को चुनौती
प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में गोल खाते होने के कारण किसानों की जमीन का सत्यापन करना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। पहाड़ों में एक ही खसरा नंबर पर कई परिवारों के नाम हैं। ऐसे में सत्यापन करना राजस्व और कृषि विभाग के लिए मुश्किल भरा होगा।
इन्हें नहीं मिलेगा सम्मान निधि का लाभ
पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ पाने के लिए किसान आयकरदाता नहीं होना चाहिए। इसके अलावा राजकीय सेवा में कार्यरत व 10,000 से अधिक पेंशन पाने वाले पेंशनर, विधायक, लोकसभा व राज्यसभा सांसद, वर्तमान व पूर्व मंत्री, किसी सांविधानिक पदधारक को सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल सकता है।