इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पीड़िता को छूने या कपड़े उतारने की कोशिश को दुष्कर्म का प्रयास नहीं माना जा सकता। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की कोर्ट ने कासगंज के आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट से जारी सम्मन को रद्द कर दिया। कोर्ट ने यौन हमले की धाराओं के तहत पुन: आदेश पारित करने का आदेश दिया है।
याची के अधिवक्ता ने आरोपियों को झूठा फंसाने की दलील दी। कहा कि दुष्कर्म के प्रयास की धाराओं में सम्मन जारी किया गया है, जबकि यह आरोपों के अनुरूप नहीं है। सम्मन जारी करते वक्त ट्रायल कोर्ट ने न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं किया। हाईकोर्ट ने आंशिक अपील स्वीकार करते हुए कहा कि अभियुक्तों ने पीड़िता की छाती को पकड़ लिया, नाड़ा तोड़ दिया और पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, कुछ लोगों के हस्तक्षेप पर वे भाग गए… सिर्फ इतने तथ्य से दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं बनता।