डिजिटल अरेस्ट क्या है – इससे कैसे बचा जा सकता है,एक कॉल…फिर गिरफ्तारी का डर,ठग ऐसे खेलते हैं इस स्कैम को

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डिजिटल अरेस्ट ठगी का एक नया तरीका है। इस साइबर क्राइम का सबसे बड़ा स्कैम है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में आम आमदी या फिर भोले-भाले लोग ही नहीं पढ़े-लिखे लोग भी फंस जाते हैं। आए दिन डिजिटल अरेस्ट के कई मामले हमें देखने को मिलते हैं। ऐसे ही एक मामले का पुलिस ने खुलासा किया है, जिसने डिजिटल अरेस्ट रैकेट के जरिए करोड़ों की ठगी की। डिजिटल अरेस्ट गिरोह के मास्टरमाइंड सुहेल ने गुरुग्राम और दिल्ली में कई कंपनी खोल रखी थी।

बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के बाद साइबर ठगी कराता था। साइबर क्राइम थाना पुलिस की गिरफ्त में आए गिरोह से यह जानकारी हाथ लगी है। आगरा के रेलवे के सेवानिवृत्त मुख्य टिकट अधीक्षक नई मिर्जा सहित 10 लोगों से 13 अगस्त को डिजिटल अरेस्ट करने के बाद 2.70 करोड़ रुपये की ठगी की थी। यह रकम महाराष्ट्र के जिला गोंदिया के महेश शिंदे नामक व्यक्ति के खाते में भेजे थे। पुलिस अब खाते फ्रीज कराने की कवायद में लगी है।

नौकरी छोड़कर दिल्ली में खोली कंपनी
डिजिटल अरेस्ट कर सेवानिवृत्त मुख्य टिकट अधीक्षक नई मिर्जा से 15 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें दिल्ली निवासी मोहम्मद राजा रफीक, बागपते के दो भाई मोहम्मद दानिश व उसका भाई कादिर और असम के करीमगंज निवासी मोहम्मद सोहेल अकरम शामिल थे। सोहेल गिरोह का मास्टरमाइंड है। वह बीटेक पास था। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि वह कोलकाता में एक साॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी करता था। तीन साल पहले नौकरी छोड़कर दिल्ली आ गया। उसने दिल्ली में अपनी कंपनी खोली। इसमें कई लोगों को नौकरी पर रख लिया। इस दौरान ऑनलाइन बेटिंग एप से लोगों को ठगने लगा। दो साल पहले उसकी मुलाकात साकेत, दिल्ली निवासी विवेक से हुई। वह बीएससी पास है। वह बेटिंग एप में पैसा लगाता था, इसलिए दोनों ने साथ में कंपनी का काम करना शुरूकर दिया।

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ऐसे बना गैंग
सोहेल की विवेक ने भीलवाड़ा, राजस्थान के रफीक राजा से मुलाकात कराई। इसके बाद 6-7 लोगों ने अपना गैंग बना लिया। दिल्ली में ठगी होने पर मई 2024 में उन्हें कमला मार्केट थाने से दिल्ली पुलिस ने जेल भेज दिया। जुलाई में राजा रफीक और उसके मित्र बड़ौत, बागपत के मोहम्मद दानिश से उसकी जमानत करा दी। बाद में विवेक ने भी अपने साथियों की मदद से जमानत करा ली।

फ्लाइट से आता था शिंदे, सोहेल से लेता था 10 प्रतिशत कमीशन
पुलिस के मुताबिक, जेल से बाहर आने के बाद आरोपी बेटिंग एप की जगह लोगों को डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगने लगे। उन्होंने खाते भी खुलवाना शुरू कर दिया। रफीक राजा ने अपने इंस्टाग्राम मित्र महेश शिंदे से सोहेल की बात कराई। वह गोंदिया, महाराष्ट्र का रहने वाला है। वह अपने खातों में रकम डलवाने के लिए राजी हो गया। इसके लिए 10 प्रतिशत रकम देना तय हुआ। उसने कोरियर से 3 सिम भी सोहेल को भेज दिए।

2.70 करोड़ रुपये ठग लिए
इसके बाद ठगी की जो भी रकम आती, वह महेश के खाते में जमा करा लेते। यह महेश, उसकी पत्नी ज्योत्सना और भाई संजय के नाम पर थी। जुलाई में महेश ने अपने नाम से खाते खोले। 13 अगस्त को गिरोह ने एक साथ 10 लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने के बाद 2.70 करोड़ रुपये ठग लिए। महेश शिंदे के खाते में रकम भेजी गई। इस रकम को दिल्ली एनसीआर के 3 खातों में ट्रांसफर किया गया। महेश अपनी रकम लेने के लिए दिल्ली फ्लाइट से आता था। महंगे होटल में रुकता था।

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क्या है डिजिटल अरेस्ट? 
आपको जानकारी के लिए बता दें कि डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन जरिए से इतना डाराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से गिरफ्तार हो गया है, ऐसे में उसे जुर्माना देना होगा। कई बार यह मामला काफी ऊपर तक चला जाता है। हालांकि, डिजिटल अरेस्ट एक शब्द है, जो कानून में नहीं है।

ऐसे कर सकते हैं डिजिटल अरेस्ट से बचाव
अगर कोई अनजान नंबर से फोन कॉल करके आपको डराने की कोशिश करता है तो उसके झांस में न आएं। उस पर भरोसा करने से पहले किसी अधिकृत जगह से पहले वेरिफाई करें।
किसी भी अनजान नंबर से आए फोन पर अगर कोई खुद को सरकारी एजेंसी या किसी संस्था का सदस्य बता रहा है और किसी खास तरह की जानकारी या फिर पैसों की मांग कर रहा है तो उस पर भरोसा न करें।
फोन कॉल पर अगर कुछ भी संदिग्ध लगता है तो तुरंत फोन काट दें और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।


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