हो रहा है करोड़ों राम भक्तों का सपना साकार,सागौन की लकड़ियों से बनेगा राम मंदिर का दरवाजा
अयोध्या में करोड़ों राम भक्तों का सपना साकार हो रहा है. वहीं अब भगवान राम की भव्य मंदिर में खिड़की और दरवाजे की लकड़ी भी महाराष्ट्र से बड़ी संख्या मेंव अयोध्या पहुंच रही है.सागौन की लकड़ी को मध्य प्रांत में टीकवुड के रूप में जाना जाता है. अपनी मजबूती और बेहतर गुणवत्ता के लिए सागौन की लकड़ी हर जगह प्रसिद्ध है.
सागौन की लकड़ियों से बनेगा राम मंदिर का दरवाज. अयोध्या में करोड़ों राम भक्तों का सपना साकार हो रहा है क्योंकि उनके आराध्य का भव्य मंदिर आकार ले रहा है. मंदिर निर्माण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. मंदिर में 160 स्तंभों को खड़ा कर दिया गया है. बस कुछ महीने बाद भगवान राम लला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे तो वहीं अब भगवान राम की भव्य मंदिर में खिड़की और दरवाजे की लकड़ी भी महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंच रही है.
रामलला के मंदिर में 40 दरवाजे और खिड़की लगाए जाने हैं. जिसके लिए वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र की लकड़ी को सबसे अधिक आयु का बताया है. भगवान रामलला के मंदिर में लगाए जाने वाले गर्भ गृह के फाटक के अलावा 40 अन्य दरवाजे और खिड़कियों के लिए हैदराबाद के कारीगर महाराष्ट्र की लकड़ी को आकार देंगे. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे आखिर क्यों तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महाराष्ट्र के इस लकड़ी को राम मंदिर में लगा रहा है तो चलिए जानते हैं.
चंद्रपुर की सागौन लकड़ी से होगा दरवाजों का निर्माण
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बहुप्रतीक्षित आराध्य के मंदिर को विश्व के सबसे खूबसूरत मंदिर में शुमार देखना चाहता है. यही वजह है कि तकनीकी मजबूती और खूबसूरती का एक लाजवाब संगम राम मंदिर में देखने को मिलेगा.राम मंदिर में हर एक चीज वैज्ञानिक तकनीक से लगाया जा रहा है. चाहे वह मंदिर की छत हो या फिर मंदिर को हजारों वर्ष तक सरयू की जलधारा से बचाने के लिए रिटेनिंग वॉल का निर्माण हो. इसी कड़ी में अब भगवान राम के मंदिर में दरवाजे भी बहुत ही खूबसूरत और मजबूत होंगे. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की माने तो महाराष्ट्र के सागौन की लकड़ी हजारों वर्षों तक जैसे का तैसा बना रहता है.
इतना ही नहीं सागौन की लकड़ी को मध्य प्रांत में टीकवुड के रूप में जाना जाता है. अपनी मजबूती और बेहतर गुणवत्ता के लिए सागौन की लकड़ी हर जगह प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं सागौन की लकड़ी में सैकड़ों वर्षों तक दीमक के हमले की कोई संभावना नहीं होती. अब तक दिल्ली की सेंट्रल विस्टा परियोजना व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की इमारत, सतारा सैनिक स्कूल और डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स स्टेडियम सहित कई प्रमुख परियोजनाओं में महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया है.