दिवाली के दूसरे दिन ब्रजभूमि भक्ति और उल्लास से सराबोर होगी। गिरिराज धरण के चरणों में श्रद्धा का सागर उमड़ेगा। पूरे ब्रज में 22 अक्तूबर बुधवार गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव की धूम रहेगी।
मान्यता है कि गिरिराजजी की परिक्रमा सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों के साथ कर अन्नकूट प्रसाद समर्पित किया था। द्वापर युग से चली आ रही यह परंपरा आज भी ब्रज में प्रभु के यश का गान कर रही है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रजभूमि में कभी इंद्रदेव की पूजा होती थी। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को पूजा का त्याग कर गिरिराज पूजन का संदेश दिया। जब गिरिराज पूजा हुई तो ब्रजवासी अपने-अपने घरों से प्रसाद लेकर आए। कोई रोटी, पूड़ी-सब्जी लाया तो कोई खीर-दाल-मिठाई। प्रसाद इतना अधिक था कि गिरिराज पर्वत के समक्ष अन्न का पहाड़ लग गया। तभी से इस भोग का नाम ‘अन्नकूट’ पड़ा।







