डमी स्कूल: केंद्र सरकार डमी स्कूलों और कोचिंग संस्कृति पर कसेगी शिकंजा, समिति हर महीने सौंपेगी रिपोर्ट

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केंद्र सरकार ने छात्रों की कोचिंग और डमी स्कूल पर बढ़ती निर्भरता पर लगाम लगाने के लिए नौ सदस्यीय समिति गठित की है। उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी की अध्यक्षता में गठित यह समिति नौ अलग-अलग बिंदुओं पर समीक्षा के आधार पर हर महीने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को रिपोर्ट देगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निदेशक देवेंद्र कुमार शर्मा की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी की गई है।

समिति डमी स्कूल, स्कूल और उच्च शिक्षा की परीक्षाओं, प्रवेश परीक्षाओं का मूल्यांकन,कोचिंग सेंटर के भ्रामक सफलता विज्ञापन,गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा की मांग और प्रमुख संस्थानों में सीमित सीट आदि की समीक्षा करेगी। समिति का मकसद कोचिंग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना, कोचिंग पर छात्रों की निर्भरता कम करने की दिशा में काम करना है। समिति यह पता करेगी कि छात्र कोचिंग पर क्यों निर्भर हो रहे हैं और इसे कैसे कम किया जा सकता है। इसके साथ ही वर्तमान स्कूली शिक्षा प्रणाली में कमियों की जांच करेगी। मंत्रालय के अनुसार, स्कूलों में रटने पर ज्यादा जोर दिया जाता है,जबकि सोचने-समझने और विश्लेषण की क्षमता को नजरअंदाज किया जाता है।

 

समिति सुझाएगी रोक के उपाय

इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र अक्सर डमी स्कूलों में नामांकन लेते हैं। वे स्कूल नहीं जाते,केवल बोर्ड परीक्षा देने आते हैं। कुछ छात्र राज्य कोटा पाने के लिए भी दिल्ली जैसे स्थानों के डमी स्कूल चुनते हैं। समिति यह समझेगी कि डमी स्कूल क्यों पनप रहे हैं और कैसे ये औपचारिक शिक्षा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही, इन पर रोक लगाने के लिए उपाय सुझाएगी।

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प्रवेश परीक्षाओं के असर की होगी जांच समिति यह भी देखेगी कि प्रवेश परीक्षाएं छात्रों की वास्तविक योग्यता को कितनी अच्छी तरह आंकती हैं और क्या ये कोचिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा दे रही हैं। स्कूली मूल्यांकन की भूमिका और उसकी कमी का असर भी जांचा जाएगा। समिति उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग और प्रीमियम संस्थानों में सीटों की कमी का अध्ययन करेगी। यह अंतर ही छात्रों को कोचिंग की ओर धकेलता है। समिति यह भी देखेगी कि छात्रों और अभिभावकों को विभिन्न करियर विकल्पों की कितनी जानकारी है। क्या जानकारी की कमी उन्हें सिर्फ कुछ ही संस्थानों की ओर मोड़ती है?

कोचिंग के चुनिंदा सफलता की कहानियां भी परखी जाएंगी

इसके अलावा समिति कोचिंग सेंटर के चुनिंदा सफलता की कहानियों के विज्ञापन और भ्रामक दावों की समीक्षा होगी। ये अभिभावकों को आकर्षित करने का काम करते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में करियर परामर्श सेवाओं की उपलब्धता व प्रभावशीलता का आकलन करना और करियर मार्गदर्शन ढांचे को मजबूत करना शामिल है। स्कूलों में करियर काउंसलिंग की स्थिति भी जांची जाएगी।

समिति में शामिल हैं शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ: समिति में सीबीएसई अध्यक्ष, शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आईआईटी मद्रास और कानपुर, एनआईटी त्रिची, एनसीईआरटी के प्रतिनिधि और तीन स्कूलों (केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एक निजी स्कूल) के प्राचार्य शामिल हैं।

कोचिंग सेंटरों को लेकर बढ़ी चिंताएं: सरकार को कोचिंग संस्थानों को लेकर कई शिकायतें मिली हैं, जैसे छात्रों की आत्महत्या, अग्नि सुरक्षा की कमी, कमजोर सुविधाएं और पढ़ाने के तरीकों पर सवाल। इन्हीं चिंताओं के चलते यह कदम उठाया गया है।

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