मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या शुक्रवार को एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी, जब जगतगुरु रामानंदाचार्य के पद पर प्रतिष्ठित पश्चिम पीठ शेषमठ बागोद सिगड़ा (पोरबंदर, सौराष्ट्र, गुजरात) और कौशलेन्द्र मठ अहमदाबाद के पीठाधीश्वर स्वामी वैदेही वल्लभ देवाचार्य महाराज पहली बार श्रीधाम पधारे। उनके आगमन पर संतो-महंतों और श्रद्धालुओं ने उत्साह और श्रद्धा से स्वागत किया।
रामलला, बजरंगबली और सरयू मैया का किया दर्शन
अयोध्या पहुंचते ही स्वामी वैदेही वल्लभ देवाचार्य ने सबसे पहले श्रीरामजन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला सरकार का दर्शन-पूजन किया। इसके बाद उन्होंने सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का दर्शन कर आशीर्वाद लिया। अंत में वह पावन सरयू तट पहुंचे और मां सरयू का पूजन-अर्चन किया।’

पहली अयोध्या यात्रा पर भावुक हुए जगतगुरु
धर्मसम्राट श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के आश्रम पर मीडिया से बातचीत करते हुए स्वामी वैदेही वल्लभ देवाचार्य ने कहा—
“जगतगुरु रामानंदाचार्य पद पर आसीन होने के बाद यह मेरी पहली अयोध्या यात्रा है। यहां आकर रामलला, हनुमंतलला और सरयू मैया का दर्शन करना मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण है। अयोध्या के संत समाज ने जिस तरह मुझे सम्मानित किया, वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।”
उन्होंने आगे बताया कि प्रयागराज कुंभ के पावन अवसर पर तीनों अनी अखाड़ों, चार संप्रदायों, सात प्रमुख खालसा और अनेकों अखाड़ों-मठों के संत-महंतों एवं जगतगुरुओं की सहमति से उन्हें जगतगुरु रामानंदाचार्य के रिक्त पद पर प्रतिष्ठित किया गया।
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अयोध्या में हुआ सम्मान और पादुका पूजन
अयोध्या आगमन पर विभिन्न मठ-मंदिरों के महंतों व धर्माचार्यों ने उनका भव्य स्वागत किया। सम्मान, पधरावनी और पादुका पूजन का आयोजन हुआ। जगतगुरु ने कहा कि उन्हें केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में इस पद की गरिमा और परंपरा को निभाने की जिम्मेदारी मिली है।
संतों ने किया स्वागत
निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत मुरलीदास महाराज ने कहा—
“प्रयागराज कुंभ में जगतगुरु पद पर आसीन करने के बाद स्वामी वैदेही वल्लभ देवाचार्य पहली बार अयोध्या आए हैं। संत समाज ने उनका स्वागत कर संप्रदाय की परंपरा को और अधिक मजबूती दी है।”
संकटमोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष व धर्मसम्राट ज्ञानदास महाराज के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने कहा—
“स्वामी जी का जगतगुरु बनना रामानंद संप्रदाय के लिए गौरव का विषय है। अयोध्या आकर उन्होंने रामलला और बजरंगबली का पूजन कर सभी भक्तों को आशीष प्रदान किया है।”
बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत स्वामी अवधेश कुमार दास ने कहा कि रामानंद संप्रदाय की यह शाखा सदियों से धर्म और समाज की सेवा करती रही है। अब जगतगुरु पद पर प्रतिष्ठित होने से इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ी है।
विशिष्ट संतों की उपस्थिति
इस अवसर पर सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास महाराज के शिष्य प्राचार्य डॉ. महेश दास, निर्वाणी अनी अखाड़ा के महासचिव महंत सत्यदेव दास, श्रृंगीऋषि आश्रम के पीठाधीश्वर महंत हेमंत दास, शिवम श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में संत-महंत और श्रद्धालु मौजूद रहे।
संप्रदाय की परंपरा और विरासत
स्वामी वैदेही वल्लभ देवाचार्य इससे पहले पश्चिम पीठ शेषमठ बागोद सिगड़ा (सौराष्ट्र-गुजरात) और कौशलेन्द्र मठ अहमदाबाद के पीठाधीश्वर रहे हैं। यहां के पूर्व पीठाधीश्वर ने ही उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। आज वही परंपरा जगतगुरु रामानंदाचार्य के रूप में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही है।







