नैनीताल: न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा बने झारखंड न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,फुल कोर्ट रिफ्रेंस कर दी गई विदाई।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायसधीश बनाए जाने पर मुख्य न्यायाधीश कोर्ट में फुल कोर्ट रिफ्रेंस कर विदाई दी गई। उनके विदाई समारोह में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी दिल्ली से ऑन लाइन शामिल हुए। इस मौके पर न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा , महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, जीए जीएस संधु ,जेएस विर्क, मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत, असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल, बार के अध्यक्ष प्रभाकर जोशी, महासचिव विकास बहुगुणा, जिला अधिकारी धीराज गर्ब्याल, एसएसपी डॉ. पंकज भट्ट सहित कई न्यायिक अधिकारी,अधिवक्तागण व उच्च न्यायलय के कर्मचारी मौजूद रहे।मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने वर्चुअल माध्यम से जस्टिस मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने पर बधाई दी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने थोड़े से समय में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के करीब छह हजार से ज्यादा वादों का निस्तारण किया। जिनमें उनके कई निर्णय भविष्य में न्याय दिलाने में काम आएंगे। न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए। जिनमें उन्होंने पिता की संपत्ति में विवाहित पुत्री का हक होने का निर्णय दिया। उनके द्वारा कोरोना काल की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि अगर कोरोना की चौथी लहर आती है तो इस जनहित याचिका में फिर से प्रार्थना पत्र दे सकते हैं। उनके द्वारा एलटी कला वर्ग भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाया गया। दिल्ली से देहरादून एनएच के चौड़ीकरण पर लगी रोक को हटाते हुए कहा कि सामाजिक विकास व सुरक्षा की दृष्टि से इसका निर्माण होना आवशक है। एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार से उसे 35 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया। चारधाम यात्रा में सुविधाओं को लेकर मुख्य सचिव को आदेश दिया कि जितनी भी कमियां जनहित याचिका में उठाई गई है उन्हें दो माह के भीतर पूर्ण करें। अंकिता भंडारी हत्या की जांच सीबीआई से कराए जाने के मामले में कहा कि एसआईटी सही जांच कर रही है उसकी जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के घर आगजनी के मामले में साक्ष्यों के अभाव में आरोपियो को जमानत दी। इस मौके पर जस्टिस संजय मिश्रा ने कहा उत्तराखंड के रेवेन्यू कानून में सुधार की जरूरत है क्योंकि उत्तराखंड के रेवेन्यू कानून पिता की संपत्ति पर केवल पुत्र को अधिकार देता है बेटियों को नहीं । खासकर शादीशुदा बेटियों को बिल्कुल नहीं। इस विषय पर उत्तराखंड सरकार को विचार करना चाहिए।