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निकाय चुनाव के नतीजे धामी सरकार के मंत्रियों और विधायकों के रिपोर्ट पर कार्ड पर लाल निशान लगा गए हैं। कई निकायों में मुख्यमंत्री से लेकर उनके मंत्रियों तक की प्रतिष्ठा भी दांव पर मानी जा रही थी। चुनाव प्रचार के दौरान सरकार के मंत्री खूब दौड़-धूप करते नजर आए थे, लेकिन कुछ निकायों के चुनाव परिणामों ने उन्हें असहज कर दिया है।
समाचार लिखे जाने तक जिन निकायों के चुनाव परिणाम आए थे, उनमें श्रीनगर नगर निगम और थलीसैंण नगर पंचायत में भाजपा की पराजय को कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा गया। डॉ. रावत श्रीनगर विधानसभा से विधायक हैं और थलीसैंण उनका गृह क्षेत्र है। पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए डॉ. रावत ने कई दिनों तक श्रीनगर में कैंप किया। लेकिन चुनाव परिणाम पार्टी के बागी लखपत भंडारी की पत्नी आरती भंडारी के हक में गया।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के गढ़ में स्थित सतपुली नगर पंचायत में भाजपा हार गई। पार्टी की हार ने महाराज को असहज किया है। उधर, मुनिकी रेती नगर पालिका के चुनाव को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था। उनियाल ने भी नगर पालिका में प्रचार के दौरान खासे सक्रिय दिखाई दिए थे। लेकिन, उन्हें यहां चुनाव परिणाम से झटका लगा है। इन विपरीत चुनावी नतीजों को जनता की ओर से भविष्य के लिए अलर्ट भी माना जा रहा है। साथ ही प्रत्याशियों के चयन को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं।
दरअसल, कई निकायों में पार्टी जिन प्रत्याशियों पर दांव लगाया, वे जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए। पहले से तैयारी कर रहे जिन कार्यकर्ताओं के पार्टी ने टिकट काटे, उनकी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत ने टिकट आवंटन को लेकर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। आधा दर्जन निकाय ऐसे हैं, जहां पार्टी को प्रत्याशियों के गलत चुनाव के कारण पराजय का सामना करना पड़ा। हालांकि, सभी 100 निकायों में भाजपा सबसे आगे दिखाई दी, लेकिन जहां उसे मात मिली उसे पार्टी कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहे हैं।
