तेलंगाना हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों कर मौत की सजा बरकरार रखी। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सजा-ए-मौत के फैसले को बरकरार रखा। आतंकी 2013 में हुए बम विस्फोट मामले में शामिल थे, जिसमें 18 लोग मारे गए थे और 131 लोग घायल हुए थे।
पीठ ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण और जस्टिस पी. श्री सुधा की पीठ ने एनआईए अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए आईएम आतंकवादियों की ओर से दायर आपराधिक पुनरीक्षण अपील को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा, ‘ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाई गई सजा की पुष्टि की जाती है।’
क्या है मामला?
इससे पहले 13 दिसंबर, 2016 को एनआईए कोर्ट ने आईएम के सह-संस्थापक मोहम्मद अहमद सिदीबापा उर्फ यासीन भटकल, पाकिस्तानी नागरिक जिया-उर-रहमान उर्फ वकास, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और एजाज शेख सहित पांच सदस्यों को दोषी ठहराया था। शहर के भीड़भाड़ वाले शॉपिंग क्षेत्र दिलसुखनगर में 21 फरवरी 2013 को दो घातक विस्फोट हुए।