स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेशों के तहत एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी और ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ को उनके पद से हटा दिया गया है। वहीं, अधिशाषी अभियंता मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही फायर सेफ्टी सिस्टम की जिम्मेदारी संभाल रही एसके इलेक्ट्रिक कंपनी की निविदा रद्द कर दी गई है और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। साथ ही हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 10-10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की गई है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का मध्यरात्रि निरीक्षण
घटना की सूचना पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा रविवार देर रात करीब 3 बजे ही एसएमएस अस्पताल पहुंचे और ट्रॉमा सेंटर की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री के इन निर्देशों के बाद ही सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने अधीक्षक, प्रभारी और अभियंता पर यह कार्रवाई सुनिश्चित की। राज्य सरकार ने अब डॉ. मृणाल जोशी को एसएमएस अस्पताल का नया अधीक्षक नियुक्त किया है, जबकि ट्रॉमा सेंटर की जिम्मेदारी डॉ. बी.एल. यादव को सौंपी गई है।
स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का निरीक्षण
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर सोमवार शाम घटना के 17-18 घंटे बाद ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। उन्होंने क्षतिग्रस्त वार्ड का निरीक्षण किया और बचाव कार्यों तथा जांच की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी ली। मंत्री खींवसर ने मीडिया से कहा कि यह हादसा बेहद दुखद है। जिन परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदना है। ईश्वर उन्हें इस पीड़ा को सहन करने की शक्ति दें। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया कि क्षतिग्रस्त आईसीयू को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए और तब तक मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
जांच समिति का गठन और कठोर कार्रवाई का आश्वासन
राज्य सरकार ने घटना की पूरी जांच के लिए चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में छह सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वे घटना के सभी पहलुओं की गहन जांच कर शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मंत्री खींवसर ने स्पष्ट कहा कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा शीघ्र देगी, ताकि वे राहत पा सकें।
सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा और भविष्य की योजना
मंत्री खींवसर ने बताया कि राज्य सरकार पहले ही अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के प्रयासों में जुटी है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जून माह में ही सीआईएसएफ को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे, ताकि फायर सेफ्टी और सुरक्षा प्रबंधन की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद पहले चरण में एसएमएस अस्पताल और इसके संबद्ध अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की जाएगी, फिर पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।
राजस्थान के अस्पतालों में आग की पुरानी घटनाएं फिर दिला गईं दर्दनाक यादें
सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आग की घटना ने एक बार फिर राजस्थान के स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य में इससे पहले भी कई बार अस्पतालों में आग लगने की दर्दनाक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें निर्दोष नवजातों की जान गई।
31 दिसंबर 2019 को अलवर के गीतानंद अस्पताल में नवजात वार्ड में शॉर्ट-सर्किट के कारण आग लग गई थी, जिसमें एक नवजात की दर्दनाक मौत हो गई थी। इससे पहले 13 और 14 जनवरी 2013 को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में नवजातों के लिए बने आईसीयू में आग भड़क उठी थी। उस हादसे में कई नवजात झुलस गए थे और गंभीर रूप से घायल हुए थे।
इसी तरह 29 जुलाई 2019 को जयपुर के जेके लोन अस्पताल के आईसीयू में शॉर्ट-सर्किट से धुआं फैल गया था। धुएं के कारण एक नवजात की दम घुटने से मौत हो गई थी। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया था कि फायर सेफ्टी सिस्टम की नियमित जांच और रखरखाव में गंभीर लापरवाही की जाती रही है। अब एसएमएस अस्पताल की आग ने एक बार फिर उसी चूक की भयावह पुनरावृत्ति कर दी है।