Happy new year 2022 : – न्यू भारत न्यूज़ चैनल परिवार की तरफ से सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं, नव वर्ष स्वागत योग्य, खुद को करो नया सब नया होगा ।।

Spread the love

नया वर्ष स्वागत योग्य है, अगर हम इसे एक नया अर्थ दें, अन्यथा जैसा कि कहा जाता है कि इस आकाश तले कभी कुछ नया होता ही नहीं है-सदा सब पुराना ही रहता है। यह बात अधिकांश लोगों के लिए सत्य है, लेकिन पूर्णतः सत्य नहीं है। दुनिया में ऐसे भी कुछ लोग हैं, सदा रहे हैं, सदा रहेंगे, जिनके लिए प्रतिदिन नया है, प्रतिपल नया है। निश्चित ही यह हर व्यक्ति की दृष्टि या मनःस्थिति पर निर्भर करता है। यह बात सिर्फ धन और सुविधा पर ही नहीं, बल्कि व्यक्ति की चेतना के विकास पर आधारित होती है।

हमारी दृष्टि ही हमारा अपना जगत निर्मित करती है। दृष्टि पर अगर अतीत का धुआं हावी हो जाए, तो वह प्रत्येक नए पल या नए दिन को तुरंत पुराना कर देती है। हमारा मन अति प्राचीन है। यह मन पूरे जीवन की स्मृतियों का बोझ ढोता है या इस बोझ के नीचे दबा रहता है। इस मन के पार हमारी चेतना है। नए के अनुभव के लिए इस चेतना को निर्भार रखना जरूरी होता है, और निश्चित ही सब ऐसा नहीं कर पाते। गौतम बुद्ध ने तो यहां तक कहा है कि हमारी एक-एक इंद्रिय एक-एक मन है।
मनोविज्ञान भी इस बात के समर्थन में है। तुम्हारी जीभ का एक मन है, लेकिन वह मन केवल स्वाद की भाषा समझता है। तुम्हारे कान का भी एक मन है, लेकिन वह मन केवल ध्वनि की भाषा समझता है। कान भी चुनाव करता है। सभी ध्वनियां नहीं ले लेता भीतर। आंखें भी सब नहीं देखतीं। सबको देखने लगे, तो मुश्किल में पड़ जाओगे। आंखें वही देखती हैं, जो देखना चाहती हैं। वही देखती हैं, जो देखने योग्य हो। वही देखती हैं, जिसमें कोई प्रयोजन है। हम इस बात का अनुभव कर सकते हैं। जिस दिन हम उपवास करते हैं, उस दिन हमें भोजन ज्यादा दिखाई देने लगता है। बाहर भी और भीतर भी। 

और पढ़े  संसद का शीतकालीन सत्र- लोकसभा में 7वें दिन चुनाव सुधार पर चर्चा, कांग्रेस ने DBT से कैश, ईवीएम और EC पर पूछे कई सवाल

ओशो ने एक प्रसिद्ध जर्मन कवि हेनरिख हेन के संबंध में जिक्र किया है। कवि ने स्वयं कहा है कि मैं एक दफा जंगल में तीन दिन के लिए भटक गया और रास्ता न मिला। फिर पूर्णिमा का चांद निकला, तो मैं चकित हुआ। जिंदगी में मैंने बहुत-सी कविताएं लिखीं। चांद पर भी कविताएं लिखीं। मैंने चांद में कभी प्रेयसी का बिंब देखा, कभी परमात्मा की छवि देखी, और क्या-क्या नहीं देखा। मगर तीन दिनों की भूख के बाद जब चांद निकला, तो मैंने देखा : एक सफेद रोटी आकाश में तैर रही है। मैं खुद भी चौंका कि यह कौन-सा प्रतीक है! तीन दिन का भूखा आदमी और क्या देखेगा? 

उसकी आंख सिर्फ रोटी तलाश रही है। हर जगह उसे रोटी दिखाई पड़ेगी। प्रत्येक व्यक्ति ऐसे ही मन के साथ उलझा हुआ जीता है। और चूंकि मन स्वयं पुराना है, तो वह हमारे जीवन में कुछ भी नया अनुभव करने में बाधा खड़ी कर देता है। यह सामान्य व्यक्ति की अवस्था है। पर जो व्यक्ति अपनी चेतना को इस मन से मुक्त करना जानता है, वह अनुभव करता है कि अगर मैं नया हो गया, तो इस जगत में मेरे लिए कुछ भी पुराना न रह जाएगा, क्योंकि जब मैं ही नया हो गया, तो हर चीज नई हो जाएगी।


Spread the love
  • Related Posts

    अब ओडिशा के नाइटक्लब में लगी भीषण आग,भुवनेश्वर में दिखा धुएं का गुबार

    Spread the love

    Spread the loveओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां सत्य विहार इलाके में एक नाइट क्लब में भीषण आग लग गई। आग लगने के बाद वहां…


    Spread the love

    Violence: टिब्बी में विरोध प्रदर्शन जारी,17 को कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी, ADG का बड़ा बयान

    Spread the love

    Spread the loveराजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में हुए बवाल की खबर देशभर में छाई रही। ताजा अपडेट के मुताबिक, ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड की फैक्टरी के खिलाफ किसानों और स्थानीय…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *