अयोध्या: भक्ताें की माला से सुशोभित हुई पांच कोस की परिधि

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 रामनगरी की धरती शनिवार को आस्था के सागर में डुबकी लगाती नजर आई। पंचकोसी परिक्रमा के पथ पर जब लाखों श्रद्धालु रामनाम का गान करते आगे बढ़े तो लगा मानो पूरी नगरी भक्ति की माला में पिरोई जा रही हो। पांच कोस की परिधि पर आस्था के 20 लाख मनके गूंथ गए, हर मनका किसी संकल्प, किसी श्रद्धा, किसी भक्ति का प्रतीक था।

परिक्रमा शनिवार भोर में शुभ मुहूर्त 04:02 बजे से पहले ही शुरू हो गई थी, जो शनिवार की देर रात तक संचालित होती रही। पांच कोस की आध्यात्मिक परिधि में हर ओर सिर्फ आस्था का समुद्र लहराता नजर आ रहा था। जय श्रीराम… जय सरयू मैया.. अयोध्या नाथ की जय… हनुमंतलला की जय… के जयघोष गूंज रहे थे। लोकगीतों की आवाज पूरे माहौल को भक्ति मय बना रही थी। हर वर्ग के लोग परिक्रमा में शामिल होकर दुश्वारियों को दरकिनार करते हुए राम-नाम की धुन गाते बढ़ते रहे।43-पचकोसी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालु।-संवाद
महिलाओं ने बच्चों को पैदल तो कभी गोद में लेकर अपनी परिक्रमा पूरी की। बुजुर्ग जगह-जगह विराम लेते हुए परिक्रमा पथ को नापते रहे। जिनकी परिक्रमा पूरी हुई, उन्होंने पवित्र भूमि को नमन किया और दर्शन-पूजन के लिए मठ-मंदिरों की ओर बढ़ चले। दर्शन-पूजन के बाद ईख, शकरकंद, सिंघाड़ा व अन्य सामानों की खरीद की। वापस अपने घरों की ओर चल दिए। दर्शन-पूजन के बाद घर वापसी के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन पर जमी रही। प्रशासन व पुलिस ने मेले के मद्देनजर सुरक्षा के चौकस इंतजाम किए थे। एटीएस ने सुरक्षा की कमान संभाल रखी थी तो मेला क्षेत्र की निगरानी ड्रोन से होती रही।

हनुमानगढ़ी में सुबह तीन बजे से ही मिलने लगे दर्शन

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आस्था का पथ नापकर पुण्यार्जन करने के बाद श्रद्धालु अपने आराध्य के दरबार में माथा टेकना नहीं भूले। सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में भीड़ का सर्वाधिक दवाब रहा। हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेश दास ने बताया कि भीड़ को देखते हुए मंदिर को डेढ़ घंटे पहले तीन बजे ही खोल दिया गया। मंदिर एक बार खुला तो पूरे दिन व देर शाम शयन आरती तक जयकारे गूंजते रहे। इसी तरह रामलला के दरबार में भी दो लाख से अधिक भक्तों ने हाजिरी लगाई।

43-पचकोसी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालु।-संवाद

सरयू में डुबकी लगाने की दिखी होड़
सरयू तट से नयाघाट मार्ग श्रद्धालुओं से पटा रहा। उधर श्रीराम अस्पताल से लेकर पूरा रामकोट जयकारों से गूंजता रहा। नयाघाट से लेकर रामघाट तक का पूरा इलाका लोकगीतों व जयघोष से गुंजायमान होता रहा। सरयू के घाटों पर स्नान की होड़ सी दिखी। आरती घाट, लक्ष्मण घाट, संत तुलसी दास घाट पर तिल रखने की जगह नहीं थी। यहां जल पुलिस लाउडस्पीकर से भक्तों को गहरे पानी में स्नान न करने की हिदायत देती रही।
भक्ति-भाव में डूबी दिखी साधु-संतों की टोली

पंचकोसी परिक्रमा में बड़ी संख्या में संत-धर्माचार्य भी शामिल हुए। हरकीर्तिन में मगन साधु-संतों की टोली परिक्रमा पथ पर भक्ति भाव में डूबी दिखी। हरिकीर्तन करते हुए साधु-संत व भक्त पूरे उत्साह के साथ परिक्रमा पथ पर बढ़े जा रहे थे। संत एमबी दास परिक्रमा का लाइव करते नजर आए। बोले कि इस दृश्य को देश-दुनिया के अपने भक्तों को भेजेंगे ताकि वे भी सनातन की शक्ति जान सकें।


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