दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए सरकार ने वैज्ञानिक प्रयासों के तहत दो लगातार क्लाउड सीडिंग प्रयोग किए, लेकिन फिलहाल बारिश कराने में सफलता नहीं मिल सकी है। अब आईआईटी कानपुर की टीम ने अगला प्रयोग तब तक रोकने का निर्णय लिया है, जब तक वातावरण में पर्याप्त नमी यानी करीब 50 फीसदी से अधिक न हो जाए।
आईआईटी कानपुर ने मंगलवार को प्रस्तावित अगली क्लाउड सीडिंग गतिविधि को अपर्याप्त नमी के कारण रोक दिया। संस्थान ने कहा कि मंगलवार का ऑपरेशन स्थगित किया गया क्योंकि बादलों में सिर्फ 15 से 20 फीसदी नमी थी। क्लाउड सीडिंग पूरी तरह मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करती है और बिना नमी के इससे बारिश संभव नहीं है। फिलहाल इस दौरान हुए परीक्षणों से मिले आंकड़े काफी उपयोगी रहे। क्लाउड सीडिंग से भले बारिश नहीं हुई, लेकिन वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार जरूर दिखा।
पर्यावरण विभाग के मुताबिक दिल्ली के 20 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में गिरावट दर्ज की गई। मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में पीएम 2.5 क्रमशः 221, 230 और 229 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से घटकर 207, 206 और 203 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गया। वहीं पीएम 10 का स्तर 207, 206 और 209 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से घटकर 177, 163 और 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक आ गया। अधिकारियों का कहना है कि हवा की गति बहुत कम थी, इसलिए यह कमी बादलों में छोड़े गए कणों के असर से आई, जिनसे धूल नीचे बैठ गई।

बारिश नहीं हुई लेकिन उम्मीदें बढ़ीं – आईआईटी
आईआईटी कानपुर की ओर से आए एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, हालांकि बारिश नहीं हो सकी, लेकिन दिल्ली में लगाए गए मॉनिटरिंग स्टेशनों से जो डेटा मिला, उसने उम्मीद बढ़ाई है। आंकड़ों में पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में 6 से 10 फीसदी तक कमी दर्ज की गई। इसका मतलब है कि सीमित नमी में भी क्लाउड सीडिंग हवा की गुणवत्ता सुधारने में मददगार हो सकती है। ये नतीजे हमें भविष्य के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद देंगे।
वैज्ञानिक प्रयोग से मिले नए अनुभव
दिल्ली सरकार ने कहा है कि मंगलवार के प्रयोग के बाद पूर्वी दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर 0.1 से 0.2 मिमी की हल्की फुहार दर्ज हुई, जिसे सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। हर प्रयोग उन्हें यह समझने में मदद कर रहा है कि असल वातावरण में कितनी कृत्रिम बारिश संभव है। अधिकारियों ने कहा है कि अब आगे की कोशिशें मौसम की स्थिति देखकर ही की जाएंगी। सरकार का मानना है कि तकनीक को पूरी तरह समझना जरूरी है, ताकि किसी दूसरे देश की तरह गड़बड़ी न हो, जैसे दुबई में क्लाउड सीडिंग के बाद अचानक आई बाढ़ ने नुकसान पहुंचाया था।
क्लाउड सीडिंग को फिर से समझें
यह एक वैज्ञानिक तरीका है, जिसमें विमान से बादलों में सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे कण छोड़े जाते हैं। ये कण जलकण बनने की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं, जिससे पर्याप्त नमी होने पर बारिश होती है। सही बादलों का चयन, समय और निगरानी इसकी सफलता तय करते हैं। एक बार क्लाउड सीडिंग करने का खर्च करीब 30 से 35 लाख रुपये आता है। दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ 5 परीक्षण करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके लिए कुल 3.21 करोड़ रुपये बजट तय है। दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया है कि क्लाउड सीडिंग दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखा गया है और जनता को नियमित रूप से जानकारी दी जा रही है।

कांग्रेस ने रेखा गुप्ता सरकार पर निशाना साधा
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार का क्लाउड सीडिंग का दूसरा प्रयास भी विफल साबित हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिर्फ बयानबाजी और प्रचार पर ध्यान दे रही हैं, जबकि प्रदूषण, सफाई और यमुना की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण के हालात चिंताजनक हैं, लेकिन सरकार केवल क्लाउड सीडिंग जैसे दिखावटी प्रयोगों पर करोड़ों रुपये बर्बाद कर रही है। उन्होंने बताया कि हाल के प्रयोग पर 3.21 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो केवल 30 मिनट की उड़ान और सिल्वर आयोडाइड के छिड़काव तक सीमित था। इसके बावजूद सरकार इसे सफलता बताने की कोशिश कर रही है, जबकि न तो प्रदूषण में कोई कमी आई और न ही हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी कृत्रिम वर्षा कराने की योजना बनाई थी, जिसे भाजपा ने भ्रष्टाचार बताकर रद्द किया था। लेकिन अब वही प्रयोग भाजपा सरकार ने दोबारा शुरू किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि रेखा गुप्ता सरकार अपने केन्द्रीय नेतृत्व को खुश करने के लिए जनता के पैसे से असफल प्रयोग दोहरा रही है।
देवेंद्र यादव ने सवाल उठाया कि जब प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों का धुआं, धूल और औद्योगिक उत्सर्जन है, तो सरकार इन मोर्चों पर ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही। यादव ने कहा कि विशेषज्ञों की चेतावनियों और पर्यावरणीय शर्तों को नजरअंदाज कर क्लाउड सीडिंग कराना न केवल जनता के पैसों की बर्बादी है, बल्कि यह दिखाता है कि रेखा गुप्ता सरकार के पास प्रदूषण नियंत्रण की कोई ठोस नीति नहीं है।
दिल्लीवालों को गुमराह और 3.5 करोड़ रुपये बर्बाद करने का लगाया आरोप
राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए भाजपा सरकार ने कराई क्लाउड सीडिंग योजना को आम आदमी पार्टी ने पूरी तरह फेल करार दिया है। आप ने तीखा हमला बोलते हुए इसे भाजपा सरकार का महाघोटाला और जनता के पैसे की बर्बादी बताया। आप नेताओं ने कहा कि जब केंद्र की भाजपा सरकार की तीन प्रमुख एजेंसियां सीपीसीबी, आईएमडी और सीएक्यूएम ने पहले ही दिल्ली में सर्दियों के दौरान कृत्रिम वर्षा संभव नहीं होने के बारे में बोल दिया था, तो मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने 3.5 करोड़ रुपये खर्च कर क्लाउड सीडिंग का ड्रामा क्यों किया?

क्लाउड सीडिंग पर आप ने भाजपा सरकार पर हमला बोला
आप के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने प्रेसवार्ता में कहा कि भाजपा सरकार ने जनता को धोखा दिया है। भाजपा की केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि दिल्ली में क्लाउड सीडिंग व्यावहारिक नहीं है। फिर भी रेखा गुप्ता सरकार ने वैज्ञानिकों की राय को दरकिनार कर दिल्लीवालों का पैसा उड़ाया। जब बादल खुद बारिश कर सकते हैं तो रासायनिक छिड़काव क्यों? यह जनता के टैक्स के पैसे पर किया गया सर्कस है। भारद्वाज ने बताया कि भाजपा सरकार ने दिवाली के अगले दिन कृत्रिम वर्षा कराने की घोषणा की थी, लेकिन बार-बार तारीख बदलने के बाद 28 अक्तूबर को छठ पर्व के दौरान जब बादल घिरे दिखे, तो सरकार ने जल्दबाजी में क्लाउड सीडिंग कर दी, फिर भी दिल्ली में एक बूंद भी बारिश नहीं हुई। सरकार ने टीवी कैमरों के सामने ड्रामा रचा, लेकिन न बारिश हुई, न प्रदूषण घटा। दिल्ली सचिवालय के पास तो दो स्मॉग गन चलाकर दिखावा किया गया।

आप नेता ने केंद्र सरकार के संसद में दिए जवाब का हवाला देते हुए बताया कि वैज्ञानिक संस्थाओं ने पहले दिल्ली की ठंडी और शुष्क सर्दियों में कृत्रिम वर्षा संभव नहीं होने के बारे में बता दिया था, क्योंकि बादल विमान की ऊंचाई से ऊपर रहते हैं और बारिश की बूंदें जमीन तक पहुंचने से पहले वाष्प बन जाती हैं। इतना ही नहीं, इसमें इस्तेमाल रसायनों से स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ते हैं। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए।
दूसरी ओर आप विधायक संजीव झा ने कहा कि दिल्ली में लुटेरी सरकार बैठी है, जो जनता का पैसा लूट रही है। सरकार ने चार दिन पहले कहा था कि 29 अक्तूबर को बारिश कराई जाएगी, लेकिन जब 27 तारीख को थोड़ी प्राकृतिक वर्षा हुई, तो 28 को सरकार ने दावा कर लिया कि वही कृत्रिम बारिश है। असल में कोई क्लाउड सीडिंग सफल नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को प्रदूषण से नहीं, प्रचार से मतलब है। अगर नीयत साफ होती तो 3.5 करोड़ रुपये पेड़ लगाने, एंटी स्मॉग गन, स्प्रिंकलर और स्वीपिंग मशीनों पर खर्च किए जाते। उन्होंने भाजपा के वादों को याद दिलाते हुए कहा कि भाजपा ने हजार एंटी स्मॉग गन और सौ से ज्यादा यांत्रिक सफाई मशीनें लगाने का वादा किया था, लेकिन नौ महीने में कुछ नहीं किया। न टेंडर खुले, न कोई काम शुरू हुआ। अब फर्जी क्लाउड सीडिंग दिखा रहे हैं।









