वायु प्रदूषण- प्रदूषण ने तोड़ी सांसों की डोर, पीएम 2.5 के कारण 2022 में देश में 17 लाख से ज्यादा मौतें

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राजधानी दिल्ली-एनसीआर में व्यापक रूप से वायु प्रदूषण का असर देखा जा रहा है। विशेषकर दिवाली के बाद से दिल्ली की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है। गुरुवार (30 अक्तूबर) को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 पार हो गया है। हवा में बढ़ते सूक्ष्मकण (पीएम 2.5) को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट करते हैं। अध्ययनों में पीएम 2.5 के कारण होने वाले कई दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट किया गया है। इससे हृदय रोगों से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है।

इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने पीएम 2.5 के कारण होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर सावधान किया है। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, मानव-जनित पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण साल 2022 में भारत में 17 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। साल 2010 की तुलना में मौत के मामलों में 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इतना ही नहीं जीवाश्म ईंधनों का उपयोग भी 44 प्रतिशत मौतों का कारण बना।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तेजी से बढ़ते प्रदूषण और इसके कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर सभी लोगों को अलर्ट किया है।

 

वायु प्रदूषण और मौतों का खतरा

‘द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज 2025 की रिपोर्ट’ में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कई स्रोत हैं और इसका संपूर्ण स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नकारात्मक असर देखा जा रहा है।

उदाहरण के लिए सड़क परिवहन के लिए पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण ने 2.69 लाख लोगों की जान ले ली। अनुमान यह भी बताते हैं कि भारत में वायु प्रदूषण के कारण 2022 में हुई समय से पहले मृत्यु के चलते 339.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का वित्तीय नुकसान भी झेलना पड़ा जोकि  देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 9.5 प्रतिशत था।

और पढ़े  बड़ी खबर- लाल किले के पास धमाके में 8 लोगों की मौत, कई के हताहत होने की खबर,दिल्ली में हाई अलर्ट

इससे स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के साथ आर्थिक रूप से भी संकट बढ़ाता जा रहा है।

 

भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण का जोखिम

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के नेतृत्व में 71 शैक्षणिक संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के 128 विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने ये रिपोर्ट तैयार की है। लेखकों ने कहा कि 30वें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप30) से पहले प्रकाशित यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य के बीच संबंधों का अब तक का सबसे व्यापक आकलन प्रस्तुत करती है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण के लगातार उच्च स्तर को देखते हुए ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से वायु गुणवत्ता “खराब” और “बेहद खराब” के बीच बनी हुई है।  प्रदूषण की समस्या से निपटने के प्रयास में पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी के बुराड़ी, करोल बाग और मयूर विहार जैसे कुछ हिस्सों में क्लाउड-सीडिंग परीक्षण किए गए। हालांकि, पर्यावरणविद इसे एक अल्पकालिक उपाय बताते हैं।

लैंसेट रिपोर्ट के साथ देश-संबंधित डेटा शीट में लेखकों ने बताया, भारत में साल 2022 में मानव-जनित वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) के कारण 17.18 लाख से अधिक मौतें हुईं, जो 2010 से 38 प्रतिशत की वृद्धि है। जीवाश्म ईंधन (कोयला और तरल गैस) के कारण 2022 में इन मौतों में 7.52 लाख (44 प्रतिशत) का हिस्सा रहा।


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