
आप अपने घर से बाहर निकल रहे हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाइए। शहर और आसपास के क्षेत्रों में सड़कों और गलियों में घूम रहे करीब 55 हजार आवारा श्वान खतरे का सबब बन सकते हैं। इनमें से ज्यादातर का रेबीज का सामूहिक टीकाकरण नहीं हो सका है। ऐसे में यदि ये किसी पर हमलावर होकर काट लें तो जनस्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है। ऐसा नगर निगम की अनदेखी के चलते हो रहा है।
रेबीज सौ फीसदी रोकी जा सकने वाली लेकिन घातक बीमारी है। यह मानव जीवन के लिए सीधा खतरा पैदा करती है। खासतौर पर उन इलाकों में जहां, आवारा श्वानों की संख्या अधिक है। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने एक सर्कुलर भी जारी किया था। इसमें रेबीज मुक्त भारत अभियान के तहत सभी नगर निकायों को सामूहिक टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए गए थे। इस सर्कुलर में विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े भी दिए गए थे। इसके अनुसार देश में हर साल हजारों इंसान और जानवरों की रेबीज से मौत होती है।
पशु अधिकार कार्यकर्ता प्रज्ञा गुप्ता का कहना है कि नगर निगम की यह निष्क्रियता सिर्फ पशु कल्याण की अनदेखी नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर जनस्वास्थ्य संकट को जन्म दे रही है। बिना टीकाकरण के आवारा श्वान बच्चों, सफाई कर्मियों और आम नागरिकों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। प्रज्ञा की ही आरटीआई पर नगर निगम की ओर से जवाब दिया गया है कि पिछले दो वर्षों से एंटी रेबीज टीकाकरण (एआरवी) के लिए सामूहिक अभियान नहीं चलाया गया है।
नगर निगम शहर में सिर्फ उन्हीं आवारा श्वानों का रेबीज टीकाकरण करता है, जिनकी पकड़कर नसबंदी की जा रही है। ऐसे में हर महीने औसतन चार सौ से पांच सौ आवारा श्वानों का ही नसबंदी के साथ टीकाकरण किया जा रहा है। इस साल मई तक नसबंदी और टीकाकरण से कवर किए गए श्वानों की संख्या सिर्फ 867 है। इसका मतलब हर महीने दो सौ श्वानों को भी कवर नहीं किया जा पा रहा है।
इस बारे में नगर निगम के सफाई व खाद्य निरीक्षक राकेश वर्मा ने बताया कि नगर निगम की ओर से पशु जन्म नियंत्रण नसबंदी कार्यक्रम के लिए एक संस्था से 31 मार्च 2026 तक के लिए अनुबंध किया गया है। इस संस्था की ओर से सिर्फ उन्हीं आवारा श्वानों का टीकाकरण होता है, जिन्हें नसबंदी कराने के लिए पकड़ा जाता है। ऐसे आवारा श्वानों की संख्या रोजाना 10 से 20 तक होती है। सामूहिक टीकाकरण की अभी कोई व्यवस्था नहीं है।
नगर निगम की ओर से अभी जिन आवारा श्वानों की नसबंदी और टीकारण कराया जा रहा है, उन्हें पहचानना आसान है। यदि अपने आसपास कोई ऐसा श्वान दिखे, जिसके कान कटे हैं तो आप निश्चिंत हो सकते हैं कि उसका रेबीज टीकाकरण हो चुका है। जिनके कान नहीं कटे हैं वो रेबीज के खतरे का सबब बन सकते हैं।
नगर निगम की ओर से सड़कों पर घूमने वाले आवारा श्वानों की नसबंदी के लिए नौ अगस्त वर्ष 2023 को फेंडिकोज नामक संस्था से करार किया गया है। सह संस्था जिन श्वानों की नसबंदी करती है, सिर्फ उनका ही टीकाकरण किया जाता है। संस्था ने वर्ष 2023-24 में 5570, 24-25 में 7120 व 25-26 में अभी तक सिर्फ 867 यानी तीन वर्षों में कुल 13,557 आवारा श्वानों की नसबंदी और टीकाकरण किया है।