क्या भारत में इस बार पड़ेगी भयानक ठंड? अक्तूबर में ही हुई बर्फबारी, मौसम वैज्ञानिकों ने दी ये बड़ी चेतावनी

Spread the love

 

मानसून का सीजन खत्म होने के बाद सर्दी के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। अक्तूबर 2025 में ही हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी हुई है। अब लोगों के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या बारिश की तरह इस साल ठंड भी ज्यादा पड़ेगी? ला नीना की वजह से यह बहस छिड़ गई है। ला नीना एक जलवायु परिघटना है, जिसका इस साल सर्दियों पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। ला नीना ठंडी जलवायु का प्रतीक है। भारत में ला नीना की वजह से ज्यादा ठंड पड़ेन की संभावना है।

ला नीना का उत्तर भारत में विशेष तौर पर इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। ला नीना एक प्राकृतिक मौसम की घटना है, जो प्रशांत महासागर में ठंडे पानी के कारण होती है। यह एल नीनो (गर्म पानी) के विपरीत है। जब ला नीना आती है, तो भारत के उत्तर और मध्य भागों में ठंड बढ़ती है। ऐसे में यह उत्तर भारत में नवंबर-दिसंबर के महीने में अधिक पाला पड़ने और शीत लहरों का कारण बनता है। अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने अक्तूबर से दिसंबर के बीच ला नीना विकसित होने की 71 फीसदी तक संभावना जताई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भी ला नीना के प्रभाव से इस बार सर्दी सामान्य से ठंडी होने की 71% संभावना जताई है।

 

भारतीय मौसम विभाग का क्या कहना है? 

भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक सर्दी ठंडी रहेगी। खासकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ज्यादा असर पड़ेगा। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार सर्दी में तापमान सामान्य से 0.5-1 डिग्री कम होगा। खासकर जनवरी-फरवरी में ठंडी हवाओं की लहर की संभावना है। हालांकि, भयानक या रिकॉर्ड तोड़ने वाली ठंड की पुष्टि नहीं हुई है। दिल्ली-एनसीआर में न्यूनतम तापमान 4-6 डिग्री तक नीचे जा सकता है। 

और पढ़े  जुबीन गर्ग: सुबह 4 बजे से जुबीन गर्ग के घर के बाहर लगा फैंस का जमावड़ा, केक काटकर फैंस ने मनाई सिंगर की बर्थ एनिवर्सरी

 

क्या कह रहे हैं मौसम विज्ञानी?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने सितंबर की शुरुआत में ही ला नीना की बात कही थी। संगठन की तरफ से बताया गया कि ला नीना मौसम और जलवायु पैटर्न को प्रभावित करने के लिए वापस आ सकता है। संगठन ने इस घटना के अस्थायी शीतलन प्रभाव के बावजूद ज्यादातर देशों में वैश्विक तापमान औसत से ऊपर रहने का अनुमान जताया है। भारत में भारी बारिश के बाद लोगों को भीषण ठंड की मार भी झेलनी पड़ सकती है।

 

प्रशांत समुद्री पर्यावरण लैब के मुताबिक, ला नीना की विशेषता भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में असामान्य रूप से ठंडे समुद्री तापमान है, तो वहीं अल नीनो भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में असामान्य रूप से गर्म समुद्री तापमान के कारण है। मूल तौर पर इस शब्द का क्रिसमस से संबंध है। सर्दियों के त्योहार के कारण इसका इस्तेमाल किया गया। स्पेनिश में अल नीनो का अर्थ ईसा मसीह का बच्चा है।

 

भारत पर क्या पड़ेगा प्रभाव? 

प्रशांत महासागर में होने वाला मौसमी पैटर्न ला नीना के कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत इलाके में समुद्र की सतह का तापमान औसत से नीचे चला जाता है। ला नीना से प्रभावित होने वाले देशों में भारत का नाम अहम है। भूमध्य रेखा के पास भारत मौजूद है। ला नीना की वजह से खासतौर पर उत्तर भारत के राज्यों में ज्यादा ठंड पड़ सकती है।


Spread the love
  • Related Posts

    हिडमा: गृह मंत्री शाह की समय-सीमा से 12 दिन पहले मोस्ट वांटेड नक्सली हिडमा मारा गया, 30 नवंबर थी डेड लाइन

    Spread the love

    Spread the love     आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के त्रि-जंक्शन पर स्थित घने पुलगांडी जंगलों में मंगलवार को मोस्ट वांटेड नक्सली ‘हिडमा’ मारा गया है। सूत्रों के मुताबिक,…


    Spread the love

    X-  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X कुछ समय के लिए हुआ डाउन, हजारों यूजर्स ने की शिकायतें

    Spread the love

    Spread the loveएलन मस्क का लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) शाम 5 बजे के आसपास डाउन हो गया। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नजर रखने वाली वेबसाइट Downdetector पर…


    Spread the love