उत्तरप्रदेश की पान मसाला और फाइबर प्लास्टिक बनाने वाली बड़ी कंपनियों ने 530 करोड रुपए की जीएसटी चोरी कर ली। दोनों कंपनियों की इकाइयां कानपुर और कानपुर देहात में हैं। राज्य कर विभाग की विशेष जांच विंग यानी एसआईबी ने इन दोनों ही कंपनियों की जांच की थी लेकिन जांच रिपोर्ट में खेल कर दिया गया। इससे पहले मसाला कंपनी द्वारा 165 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी में भी इसी टीम के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल करते हुए कारवाई की संस्तुति शासन से की गई है। अबतक इन दोनों कंपनियों द्वारा लगभग 700 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का आकलन कर रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है।
तमाम निर्देशों और हाईटेक जांच निगरानी के बाद भी जीएसटी चोरी बदस्तूर जारी है। कानपुर, लखनऊ,गाजियाबाद, आगरा और मथुरा सहित एक दर्जन बड़े जिलों में संगठित रूप से जीएसटी चोरी की सूचनाएं हैं। कानपुर की जिस मसाला फर्म के उत्पादन की जांच एसआईबी ने की थी, उस फर्म ने केवल दो साल वर्ष 22-23 और 23-24 में ही करीब 350 करोड़ की जीएसटी चोरी की।
दूसरे मामले में फैब्रिक फाइबर बनाने वाली बड़ी कंपनी में 350 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी गई। ये अपवंचना वर्ष 21-22, 22-23 और 23-24 की जांच में सामने आई। आरोप है कि जीएसटी जांच विंग ने पॉलिस्टर फाइबर बनाने वाली इस कंपनी की उत्पादन क्षमता का सही मूल्यांकन नहीं किया। कंपनी से जीएसटी लागू होने के बाद वर्ष 2017 18 से लेकर 23 24 तक के सारे दस्तावेज लिए लेकिन कर चोरी केवल एक वर्ष की ही कागजों में दिखाई जो लगभग 44 करोड रुपए है। इसी तरह इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामलों की भी ठीक से जांच नहीं की। बोगस तरीके से लिए गए रिफंड की जांच को भी घुमा दिया गया।
किसी उत्पादक इकाई की उत्पादन क्षमता निकालने के लिए बिजली, मशीन, कच्चा माल सहित तमाम पहलुओं की गणना की जाती है लेकिन इन मामलों में ऐसा नहीं किया गया। वास्तविक क्षमता से बेहद कम उत्पादन की रिपोर्ट तैयार की गई और केवल दो कंपनियां करीब 700 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी में फंस गईं। इस मामले में अपर आयुक्त, संयुक्त आयुक्त और उपायुक्त स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन से संस्तुति की गई है।