शंकराचार्य करेंगे राममंदिर आंदोलन के कारसेवकों का सरयू तट पर श्राद्ध, 20 दिनों का होगा अनुष्ठान
वह 10 अक्तूबर को अयोध्या जा रहे हैं। वहां 20 दिनों तक रहेंगे। शंकराचार्य अयोध्या में मारे गए कारसेवकों की आत्मा की शांति के लिए सरयू के तट पर चतुर्दशी को शांति अनुष्ठान करेंगे। सभी अनुष्ठान शंकराचार्य के मार्गदर्शन में संपन्न कराए जाएंगे
काशी में चातुर्मास व्रत महोत्सव के बाद कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती अब अयोध्या में कारसेवकों के लिए शांति अनुष्ठान करेंगे। वह 10 अक्तूबर को अयोध्या आ रहे हैं। वहां 20 दिनों तक रहेंगे।
शंकराचार्य अयोध्या में मारे गए कारसेवकों की आत्मा की शांति के लिए सरयू के तट पर चतुर्दशी को शांति अनुष्ठान करेंगे। सभी अनुष्ठान शंकराचार्य के मार्गदर्शन में संपन्न कराए जाएंगे। शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने अमर उजाला संवाददाता से खास बात की और कहा कि अयोध्या और कांची का संबंध त्रेतायुग है।
सूर्यवंशी राजाओं की कुलगुरु कामाक्षी देवी ही हैं और उनके ही आशीर्वाद से राजा दशरथ को भगवान राम पुत्र रूप में प्राप्त हुए। ललितोपाख्यान में इस प्रसंग का वर्णन मिलता है। पता चलता है कि देवी ने राजा दशरथ को स्वप्न में दर्शन देकर कांची आने का आदेश दिया था।
राममंदिर के भूमिपूजन के दौरान कांची की मिट्टी और पंच स्वर्ण मुद्राएं भी भेजी गईं थीं। रामलला के मंदिर का निर्माण कार्य अब पूर्ण होने की ओर है। ऐसे में कांची और अयोध्या के रिश्ते और भी मजबूत होंगे।
कांची कामकोटि पीठ की शाखा अयोध्या में संचालित हो रही है। इसके साथ ही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की जिम्मेदारियां भी मठ निभा रहा है। इसके लिए देश भर से 120 विद्वानों को चुना गया है। इसमें काशी से 40 विद्वान भी शामिल होंगे। कांची पीठ के विद्वानों की टीम भी अयोध्या जा चुकी है और यज्ञशाला के निर्माण का काम चल रहा है। वो खुद भी अयोध्या जाकर जनवरी में होनेवाले प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को लेकर चर्चा करेंगे।
क्या होंगे कार्यक्रम…
मातृशक्ति का वंदन करने के लिए नवमी का श्राद्ध पुनर्वसु नक्षत्र।
एकादशी को रामलला के दर्शन पूजन का कार्यक्रम।
संत और सन्यासियों की आत्मा की शांति के लिए द्वादशी का श्राद्ध
कारसेवकों की आत्मा की शांति के लिए चर्तुदशी का श्राद्ध 13 अक्तूबर को
नवरात्र के दौरान शिव और शक्ति का अनुष्ठान 15 अक्तूबर को चंद्रमौलिश्वर और मां त्रिपुरसुंदरी के पूजन से ।