शाहजहांपुर के मानपुर चचरी गांव में बुधवार की रात राजीव ने घर में सो रहे अपने चार बच्चों की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी। माना जा रहा है कि उसने एक-एक कर बच्चों का मुंह दबाया फिर गड़ासा से वार कर मौत के घाट उतार दिया। उसकी बड़ी बेटी 13 वर्षीय स्मृति गांव के स्कूल में कक्षा आठ और कीर्ति (नौ वर्ष) कक्षा पांच में पढ़ती थी। बताया जा रहा है कि रात करीब 11 बजे बेटी कीर्ति अपने दादा पृथ्वीराज के पास आकर लेटी तो राजीव उसे उठाकर कमरे में ले गया और दरवाजा बंद कर लिया। छोटी बेटी प्रगति (सात वर्ष) और बेटा ऋषभ (पांच वर्ष) पहले से ही चारपाई पर सो रहे थे। रात 12 बजे तक पृथ्वीराज ने शौचालय के टैंक के ऊपर से झांककर देखा तो बच्चे चारपाई में मच्छरदानी के अंदर सो रहे थे।
पृथ्वीराज के मुताबिक राजीव छत पर पड़ी झोपड़ी में सोया था। आधी रात के बाद राजीव नीचे आया और वारदात को अंजाम दिया। बच्चों की चीख किसी ने नहीं सुनी। बृहस्पतिवार सुबह घटना की जानकारी तब हुई, जब पृथ्वीराज घर के अंदर गए। माना जा रहा है कि राजीव ने सो रहे बच्चों का पहले मुंह दबाया होगा, फिर एक-एक कर चारों का गला काटा।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, गड़ासे का एक ही वार किया गया है। कीर्ति और प्रगति पेट के बल लेटी हुई थीं। उनकी गर्दन पीछे से कटी हुई थी। स्मृति और ऋषभ का सामने से गला कटा हुआ था। गड़ासे को उसने चारपाई पर ही रख दिया। संभावना है कि बेड को खड़ा करने के बाद स्लैब पर चढ़कर साड़ी को कुंडे में फंसाकर फंदे से लटक गया। उसके हाथ खून से रंगे हुए थे।
पृथ्वीराज के मुताबिक, रात में चारों बच्चों के साथ राजीव घर में सोया था। बृहस्पतिवार सुबह सात बजे उन्होंने पौत्र को चाय पीने के लिए बुलाया। काफी देर बाद भी कोई जवाब नहीं मिला तो वह बाहर बने शौचालय से चढ़कर घर में दाखिल हुए। अंदर एक चारपाई पर स्मृति, दूसरी पर ऋषभ, तीसरी पर कीर्ति और प्रगति के लहूलुहान शव पड़े थे। चारों के गले रेते गए थे। वारदात से पहले दिन में ही उसने अपनी पत्नी कौशल्या को पीटकर घर से भगा दिया था।
बिजली का कनेक्शन तक नहीं, कमरे में जल रही थी टॉर्च
राजीव के मकान में बिजली का कनेक्शन तक नहीं था। हालांकि, छत के ऊपर रखी सौर ऊर्जा प्लेट से नीचे एक कनेक्शन दिया था। इसमें मोबाइल और चार्जर लगा था। कमरे के अंदर एक टॉर्च जल रही थी। लगातार जलने की वजह से उसकी बैटरी डिस्चार्ज होने लगी थी।
घटना के बाद मां बदहवास
चार बच्चों और पति को खोने के बाद कौशल्या बदहवास हैं। उसे इस बात का पछतावा है कि जाते समय वह बच्चों को साथ क्यों नहीं ले गई? साथ ले जाती तो शायद उनकी जान न जाती। उसने इसकी पूरी कोशिश भी की थी। घर से निकलते वक्त बेटे को गोद में उठाया तो राजीव ने छीन लिया। उसे 20 रुपये का नोट और खिलौने देकर पुचकारने लगा था।
कौशल्या बेटी कीर्ति को लेने उसके स्कूल पहुंची तो उसने भी परीक्षाओं का हवाला देकर साथ आने से मना कर दिया था। बोली थी- मम्मी आप चली जाओ… पापा हमको मार थोड़ी न डालेंगे। मैं छोटे भाई को भी संभाल लूंगी। हालांकि, सनकी राजीव ने सभी के भरोसे को तोड़ दिया।
मारने के लिए सल्फास की गोलियां भी लाया था राजीव
राजीव के दिमाग में आत्मघाती विचार काफी समय से चल रहे थे। एक बार वह सल्फास की गोलियां भी ले आया था। कौशल्या ने किसी तरह उनको तालाब में फेंक दिया था। यह बात पता चलने पर उसने कौशल्या को पीटा भी था। उसने कहा था कि कितनी बार फेंकोगी? तुम्हें मार डालूंगा और जेल चला जाऊंगा।
फोन तक नहीं था, पड़ोसी से लेते थे खबर
पोस्टमॉर्टम हाउस पर आईं कौशल्या की सगी बहन सावित्री भी भांजों की हत्या से काफी आहत थी। गोद में अपने बेटे को लिए मदनापुर के दौलतपुर से आई सावित्री ने बताया कि पूर्व में एक फोन कौशल्या के पास था, जिसे राजीव ने तोड़ दिया था। अब उससे बात तक नहीं हो पाती थी। पड़ोसियों को कॉल कर हालचाल लेते थे।
मुझे भी मार दो… इसी चीरघर में आएगी मेरी लाश
अपनों की मौत पर विलाप कर रहीं कौशल्या बोलीं कि हमें भी मार दो। नहीं मारोगे तो फंदे से लटककर जान दे दूंगी। इसी चीरघर में मेरी भी लाश आएगी। अब मैं जिंदा रहकर क्या करूंगी? पोस्टमॉर्टम हाउस पर वह चीखती रही और परिजन उसे संभालते रहे। महिला पुलिसकर्मियों ने सांत्वना दी।
रिश्तेदार पालने के लिए तैयार थे, पर पिता को नहीं था मंजूर
परिवार की गरीबी और राजीव की मानसिक स्थिति को देखते हुए रिश्तेदार उनके बच्चों को पालने के लिए तैयार थे, पर राजीव को यह मंजूर नहीं था। कुछ समय पहले राजीव का बहनोई राजकुमार उसकी बेटी कीर्ति को अपने शाहबाद स्थित घर ले गया था। इस पर राजीव ने उसे कई बार कॉल की। कहा कि बेटी को वापस छोड़ जाओ, वरना तुम्हारे घर में आग लगा देंगे। इसके बाद राजकुमार कीर्ति को घर छोड़ गए थे।
बच्चों की याद में रातभर सो नहीं पाई
कौशल्या ने बताया कि बच्चों के बिना उसका मायके में मन नहीं लग रहा था। रातभर उसे नींद नहीं आई। उसने ससुर को कॉल करके कहा था कि बच्चों को देखते रहना। उसने ससुर से इसकी शिकायत भी की। इस पर ससुर पृथ्वीराज बोले- दिनभर मजदूरी करने के बाद घर आए थे। रात 12 बजे तक कई बार घर में झांककर देखा था। बच्चों और राजीव को सोते देखकर वह खुद भी अपनी झोपड़ी में जाकर सो गए। सुबह तक सबकुछ खत्म हो गया था।