
अभिभावकों के मार्गदर्शन का अभाव, असफलता के डर से बार-बार लक्ष्य बदलने से क्षमताओं का ह्रास होता है। लक्ष्य साधकर बड़ों के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता निश्चित ही कदम चूमेगी। प्रेरक वक्ता जया किशोरी ने ये बातें कहीं। वह मंगलवार को बरेली के फरीदपुर स्थित फ्यूचर यूनिवर्सिटी में अमर उजाला के सहयोग से आयोजित ‘क्षितिज विचारों से बदलाव तक’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं।
कार्यक्रम की थीम पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि क्षितिज हमारी सोच से परे है। इसलिए बड़ा सोचें और उसे हासिल करने के लिए जुट जाएं। सपनों को पूरा करने में उम्र कभी बाधक नहीं होती, पर इसके लिए जज्बे की जरूरत होती है। जब कदम आगे बढ़ाएं तो लोग क्या कहेंगे, यह बिल्कुल न सोचें। प्रत्येक सफल व्यक्ति पर टिप्पणी होती है। इसे नजरंदाज करें।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कथित रिव्यू करने के नाम पर जिस तरह निशाने पर लिया जाता है, ऐसे रिव्यू करने वाले असल में खुद सफलता से दूर होते हैं। उन्हें आत्मावलोकन करना चाहिए। किसी पर निर्भर रहने के बजाय अकेले ही अपना सपना पूरा करने के लिए चलते रहें। बताया कि जब उन्होंने अपना लक्ष्य चुना तो मुश्किलें आईं, पर कभी हार नहीं मानी।