माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाने का विचार पुण्य का कार्य है और यह एक ऐसी यात्रा है जो माता-पिता और बच्चों के लिए बहुत ही खास होता है। इसी सोच के साथ इस कलयुग में बिहार के लाल ने अपनी 90 वर्षीय माता को काशी यात्रा कराने की ठानी और उन्हें कंधे पर लेकर निकल पड़े।
इस कलयुग में जहां लोग बुजुर्ग मां- बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं, वहीं आज कुछ श्रवण कुमार हैं, जो अपनी माता- पिता की सेवा के लिए समर्पित हैं। ऐसा ही दृश्य बुधवार को काशी में देखने को मिला। बिहार के कैमूर का रहने वाला राणा प्रताप सिंह अपनी 90 वर्षीय बुजुर्ग मां को कंधे पर बैठाकर कैमूर से चलकर काशी पहुंचा।
बेटे ने पहले अपनी मां को गंगा स्नान कराया, उनकी पूजा की। इसके बाद अपने पिता की चरण पादुका की भी पूजा की। फिर मां को कंधे पर बैठाकर बाबा श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचा और बाबा विश्वनाथ का दर्शन कराया।
राणा प्रताप सिंह ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु 11 अप्रैल को हो गई, उसके बाद उसने प्रण किया कि अपनी माता को हर पूर्णिमा पर गंगा स्नान कराकर मंदिर दर्शन कराऊंगा। ऐसे में आज पूर्णिमा के दिन से इसकी शुरुआत की है। भावुक होते हुए राणा ने लोगों से अपील की कि सभी तीर्थ माता-पिता ही हैं। उनकी सेवा करना ही असली धर्म है।