विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य यार्लगड्डा ने की यूएन राजदूत रवींद्रन से भेंट

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विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य यार्लगड्डा ने की यूएन राजदूत रवींद्रन से भेंट

पूर्व राज्यसभा सांसद और विश्वहिंदी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य यार्लगड्डा ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भारत के स्थायी दूतावास में राजदूत रवींद्रन से शिष्टाचार मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक भाषा के रूप में हिन्दी को बढ़ावा देने के प्रयासों पर गहरी चर्चा की।

गौरतलब है कि वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र में केवल छह आधिकारिक भाषाएँ फ्रेंच, अंग्रेजी, चीनी, रूसी, अरबी और स्पेनिश हैं और वर्ष 2022 में यह घोषणा की गई कि यूएन की सूचनाएं हिन्दी में भी प्रकाशित होगी। वहीं, 2018 में हिंदी @ यूएन’ परियोजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा में संयुक्त राष्ट्र की सार्वजनिक पहुंच को बढ़ाना और दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले लोगों को अधिकतम कंटेट प्रदान करना था।

इस अवसर पर आचार्य यार्लगड्डा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव और नरेंद्र मोदी के अभिभाषणों का भी विशेष उल्लेख किया। वहीं, राजदूत रवींद्रन ने कहा कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए 166 देश में से एक तिहाई देशों के समर्थन की आवश्यकता है और इसके लिए दुनिया के कोने-कोने में काम कर रहे प्रवासी भारतीयों को हिन्दी के प्रति समर्पित रहना होगा।

साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए भारत आवश्यक धनराशि देने के लिए पूरी तरह से तैयार है और इस कड़ी में पूर्व में लाखों डॉलर दिये जा चुके हैं। इस यात्रा के दौरान आचार्य यार्लगड्डा ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भाषा विभाग के अधिकारियों से भी मुलाकात की और हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने पर बल दिया।

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इस भेंट वार्ता को लेकर विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व सर्व साधारण के समक्ष दिखाई देता है। हम हिंदी भाषा की वैश्विकता को निरंतर एक नयी ऊँचाई देने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। कहने की आवश्यकता नहीं है कि हिन्दी एक अत्यंत सरल भाषा है और किसी भी देश के लोग इसे आसानी से सीख जाते हैं। वैश्विक स्तर पर हिंदी को और अधिक सम्मानित करने के लिए तकनीकी ज्ञान को हिंदी भाषा में परोसा जाए तो अच्छा होगा और हम इस दिशा में सरकार के किसी भी प्रयास को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रहेंगे।


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