मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को महाकुंभ नगर में पहुंचे। उन्होंनेन 29 जनवरी को महाकुंभ में होने मौनी अमावस्या पर्व की तैयारियों का जायजा लिया। सीएम ने अरैल में स्थित परमार्थ आश्रम निकेतन में स्वामी चिदानंद सरस्वती और कथा वाचक मोरारी बापू समेत कई संतों से मुलाकात की। सीएम शंकराचार्य समेत अन्य संतों से मिलेंगे और आयोजन की बाबत सुझाव लेंगे।
मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर अरैल में अपराह्न करीब 12 बजे उतरा। वहां से परमार्थ निकेतन शिविर पहुंचे और स्वामी चिदानंद मुनि से मुलाकात की। इसके बाद पर्यटन प्रदर्शनी, ओडीओपी, वाक थ्रू गैलरी, पुलिस गैलरी, संविधान गैलरी का अवलोकन किया। इसके बाद आईसीसीसी में मौनी अमावस्या तथा कैबिनेट की बैठक की तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
मुख्यमंत्री सेक्टर नौ स्थित कार्षिणी आश्रम में स्वामी गुरुशरणानंद से भेंट, सेक्टर 17 में आचार्य बाड़ा के अध्यक्ष और मंत्री से मुलाकात करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री सेक्टर 17 में ही स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती से मुलाकात करेंगे और मेला आयोजन की बाबत सुझाव लेंगे। इसके बाद करीब सवा पांच बजे वह बमरौली एयरपोर्ट से लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
मोरारी बापू की कथा में शामिल हुए सीएम योगी
परमार्थ निकेतन शिविर अरैल में विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रसंत मोरारी बापू जी कथा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हुए। यहां पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती स्वामी संतोषदास जी (सतुआ बाबा) ने सीएम योगी आदित्यनाथ जी का अभिनन्दन किया। मानस ज्ञान गंगा के प्रवाह को आत्मसात करने और अंतस के संगम को बनाए रखने के लिये विश्व के अनेक देशों के साधकों ने सहभाग किया।
सीएम योगी ने कहा कि प्रयागराज की पावन धरा पर महाकुंभ के दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन की ओर से आयोजित पूज्य बापू की कथा में आने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज मैने देखा कि प्रयागराज के सारे घाट पावन श्रद्धालुओं से भरे हैं। यह भारत का दृश्य है जो जाति-पति से मुक्त भारत का संदेश दे रहा है; भारत की एकता का संदेश दे रहा हैं। यह दृश्य अखंड़ भारत का मार्ग प्रशस्त करने का संदेश दे रहा है।
मुझे बापू की कई कथाओं में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रत्येक कथा में कुछ न कुछ नया व रोचकता होती हैं। हरि अनंत, हरि कथा अनंता। उन्होंने कहा कि प्रयाग की धरती पर अक्षय वट है, सरस्वती कूप भी है, नागवासुकी का पावन मन्दिर है, महर्षि भरद्वाज जी का आश्रम है और पावन त्रिवेणी का संगम भी है इस पवित्र धरा पर आप सभी का अभिनंदन है। उन्होंने कहा कि कथा, का संदेश राष्ट्रीय एकता का संदेश होना चाहिये; अखंड़ भारत का संदेश होना चाहिये, उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम के मिलन का संदेश होना चाहिये। आप सभी अखंड भारत का संदेश लेकर जाएं।
मोरारी बापू ने आज की मानस कथा का शुभारंभ मंगलभवन अमंगलहारी चौपाई से किया। मानस कथा, मानसिक नेत्रों को जीवंत व जागृत करने का दिव्य माध्यम है। मानस कथा स्वयं में एक महाकुंभ है। संगम में स्नान करने के लिये हमें तन लेकर आना होता है और मानस, महाकुंभ; कथा की त्रिवेणी में स्नान के लिये हमें अंतस के चक्षुओं को लेकर आना होता है। कथा की त्रिवेणी में स्नान के लिये तन को ही नहीं बल्कि मन को भी लेकर आना पड़ता है। कथा के महाकुंभ के स्नान के लिये सिद्धि ही नहीं बुद्धि को भी लेकर आना होता है। बापू ने आह्वान किया कि महाकुंभ में स्नान के लिए तन से, मन से और अपार श्रद्धा के साथ आएं। जो बल और बुद्धि लेकर आएगा वहीं कुंभ में अवगाहन कर सकता है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि हम बहुत सौभाग्यशाली है कि हमें तीर्थराज प्रयाग महाकुंभ में आने का अवसर मिल रहा है। छब वर्ष में बाद एक अर्द्धकुम्भ आता है, 12 वर्ष में कुंभ आता है और जब 12 कुंभ हो जाते हैं तब महाकुम्भ आता है। अगला महाकुंभ 2170 वें वर्ष में होगा। हम से पहले भी, हम और हमारे बाद भी शायद किसी को ऐसा अवसर प्राप्त होगा। हमें संगम के तट पर संगम के चरणों में संगम होने का अवसर मिल रहा है। हमारा जीवन संगम बने इसलिए तो यह अवसर प्राप्त हुआ है।