जंगल में हुआ माफियाओं का राज,वन विभाग के अधिकारीयों ने साधी चुप्पी

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जंगल में हुआ माफियाओं का राज,वन विभाग के अधिकारीयों ने साधी चुप्पी

लालकुआं क्षेत्र अन्तर्गत तराई केन्द्रीय वन प्रभाग की टाड़ा रेंज के जंगल में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रहा है दिन के साथ रात के अंधेरे में पिकअप,टूकटूक, टेंपो आदि से अवैध तरीके से लकड़ी की तस्करी की जा रही है सूचना के बाद भी वन विभाग के अधिकारी मौन साधे बैठे हुए हैं।
बताते चले कि तराई केन्द्रीय वन प्रभाग की टाड़ा रेंज में इन दिनों जलाऊ लकड़ी के नाम पर सगौन की बेशकीमती लकड़ी की तस्करी भी हो रही है वन विभाग या स्थानीय प्रशासन जिसे रोकने में नाकाम नजऱ आ रहा है वही टाड़ा रेंज के जंगलों में रोजाना तेजी के साथ जंगलों की कटाई की जा रही है जिससे जंगल में हरे-भरे पौधों तथा सगौन के पेड़ों की संख्या में लगातार कमी आ रही है पेड़ों की कटाई के कारण वन परिक्षेत्र कम होता जा रहा है बीते 10 साल पूर्व जंगल काफी हरा -भरा हुआ करता था लेकिन इसमें आज कुछ कमी जरूर आ चुकी है अवैध लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए वन प्रशासन रूचि नही ले रहा है जिसके चलते जंगल माफिया अवैध रूप से लकड़ी कटाई कर रहे है देखा गया है कि टाड़ा रेंज में इमारती लकड़ी के अलावा सगौंन के पेड़ों की कटाई लगातार की जा रही है बेरोक टोक कटाई और तस्करी के चलते लकड़ी माफिया जंगलों में लगातार सक्रिय बने हुए हैं वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अवैध लकड़ी काटने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कहकर इतिश्री कर लेते हैं वही कभी कदार अवैध लकड़ी परिवहन करते हुऐ वन विभाग उन्हे पकड़ भी लेता है लेकिन सजा ना मिलने के कारण यहां सिलसिला बदस्तूर जारी है इधर अधिकारी कहते हैं यदि अवैध कटाई हो रही है तो जरूर दोषियों को सजा मिलेगी यानि उन्हें अभी भी यकींन नहीं है कि अवैध लकड़ी कटाई हो रही है।
बताते चले कि तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के टाड़ा रेंज के जंगलों में इमारती लकड़ी और सगौन के पेड़ बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं इन बेशकीमती लकड़ी के फर्नीचर की मांग के चलते लकड़ी माफियाओं की ताक में जंगल रहता है। सूत्रो की मानें तो वन विभाग के संरक्षण में लकड़ी माफियाओं का राज दिन पे दिन बड़ता जा रहा है पिछले काफी दिनों से जंगल में सगौन के पेड़ों की अवैध कटाई चल रही है।

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*जंगल में माफियाओं का राज*

सूत्रो की माने तो स्थानीय लोग अवैध सगौन कटाई की शिकायत वन अधिकारियों से जरूर करते हैं लेकिन करवाई नहीं होने से माफियाओं के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं जिसके चलते दिन रात वाहनो से अवैध लकड़ी की तस्कारी देखी जा रही है वही अधिकारीयों से शिकायत पर उनका कहना होता है की अवैध लकड़ी काटने वालो पर सख्त करवाई की जाएगी लेकिन कोई सख्त करवाई होती नही दिख रही है जिससे उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं सरकार एक ओर पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए वृक्षारोपण को बढ़ावा देती है दूसरी ओर पेड़ों की अवैध कटाई पर अंकुश लगाने में पीछे रहे जाती है।

*वृक्षारोपण के लिए हर साल लाखों रु.खर्च*

पर्यावरण संतुलन का हवाला देकर जंगलों में पौधरोपण के लिए वन विभाग के अधिकारियों को टारगेट दिया जाता है वहीं अधिकारियों द्वारा पौधरोपण में लाखों रुपए खर्च कर पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन उनकी देखरेख और सुरक्षा को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है इसके अलावा जंगलों में खड़े पेड़ों की देखरेख वन विभाग द्वारा की जाए तो जंगल को काफी हद तक बचाया जा सकता है सच्च में अधिकारी वाताकुलुनित कमरे से बाहर निकलकर यदि काम करे तो निश्चित रूप से अवैध कटाई रोकी जा सकती है लेकिन कहावत है कि बिल्ली के गले में घंटी बधें कौन।

*मिली भगत की आशंका से इंकार नहीं*

तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के टाड़ा रेंज के जंगलों में धड़ल्ले से सगौन के पेड़ काटे जा रहे हैं जंगलों में कटे हुए पेड़ों की ठूंठ इस बात की तस्दीक कर रहे हैं वन अधिकारियों का रवैया अगर ऐसा ही रहा तो वो दिन दूर नहीं जब जंगल मैदान में तब्दील हो जायेंगे तराई केन्द्रीय वन प्रभाग में जंगल लाखो हेक्यटेयर में फैला हुआ है लेकिन अधिकारियों के उदासीन रवैये से कुछ दिन में सिमट जाय तो आश्चर्य नहीं होगा अधिकांश वन रेंजो में पेड़ों के ठूंठ ही नजऱ आते हैं सबसे ज्यादा टाड़ा रेंज में इधर सूत्रो की माने तो पेड़ कटने की शिकायतें जिम्मेदार अधिकारियों से की जाती है लेकिन अधिकारी तवज्जो नहीं देते उनके शिकायत के बाद भी अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं जिससे वन माफिया के साथ रेंज के अधिकारी
कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका लोगों ने जताई है।

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