इंडसइंड बैंक के डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने लेखा संबंधी चूक सामने आने के बाद इस्तीफा दे दिया है। वे बैंक के ट्रेजरी फ्रंट ऑफिस का कामकाज देख रहे थे। उनका इस्तीफा मार्च 2025 को समाप्त वित्तीय वर्ष में बैंक को 1,960 करोड़ रुपये का नुकसान होने के बाद आया है।
खुराना ने सोमवार को बैंक के बोर्ड को भेजे अपने त्यागपत्र में कहा, “हाल के दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, जिसमें बैंक ने आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेडों के लिए गलत लेखांकन के कारण कंपनी के खातों पर गलत असर पड़ने की बात कही है गई है, मैं ट्रेजरी फ्रंट ऑफिस के कामकाज, पूर्णकालिक निदेशक, उप सीईओ और बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन के एक हिस्से के रूप में, तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।”
इंडसइंड बैंक ने सोमवार शाम स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में कहा कि खुराना का इस्तीफा 28 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा।
इससे पहले, निजी क्षेत्र के ऋणदाता ने सूचित किया था कि बैंक की ओर से नियुक्त बाहरी लेखा परीक्षक ने 31 मार्च तक पीएंडएल (प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट) पर 1,959.98 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही है। इसी राशि का खुलासा 15 अप्रैल को भी किया गया था।
खुराना ने अपने इस्तीफे में कहा है, “अंत में, मैं इस अवसर पर बोर्ड को धन्यवाद देना चाहता हूं और सराहना करता हूं कि उन्होंने बैंक में मेरे करियर के दौरान मुझ पर विश्वास किया और मुझे जिम्मेदारियां सौंपी तथा मैं बैंक को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”
15 अप्रैल को इंडसइंड बैंक ने एक अन्य बाहरी एजेंसी की आधार रिपोर्ट का खुलासा किया कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लेखांकन चूक से उसके निवल मूल्य पर 1,979 करोड़ रुपये का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बैंक ने डेरिवेटिव सौदों से संबंधित विसंगतियों के कारण दिसंबर 2024 तक अपनी निवल संपत्ति पर 2.27 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव (कर-पश्चात आधार पर) का आकलन किया है।
निजी क्षेत्र के इस ऋणदाता ने पिछले महीने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लेखांकन चूक की सूचना दी थी। इसका दिसंबर 2024 तक बैंक की नेटवर्थ पर लगभग 2.35 प्रतिशत प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है।