आईआईटी दिल्ली: दिल्ली आईआईटी दुनिया के 123 संस्थानों में शुमार,जारी हुई रैंकिंग की लिस्ट 

Spread the love

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी) दुनिया के टॉप 123 संस्थानों में शुमार हो गया है। संस्थान ने दो सालों में 70 पायदान उछाल के साथ लंदन में जारी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में 123वां रैंक हासिल किया है। पिछले साल इसे 150वीं रैंक मिली थी। जबकि आईआईटी बॉम्बे को 11 पायदान गिरावट के साथ 129वां रैंक मिला है। एक दशक में भारतीय शिक्षण संस्थानों की हिस्सेदारी 318 फीसदी बढ़ी है।

जी-20 देशों की सूची में भारत सबसे आगे है। 46 संस्थानों के प्रदर्शन में सुधार है। रैंकिंग में आठ नए संस्थान जुड़े हैं। इसमें आईआईटी गांधीनगर, अशाेका यूनिवर्सिटी. हरियाणा, मानव रचना इंटरनेशनल स्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज, गलगोटिया यूनि ग्रेटर नोएडा, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब शामिल हैं।

 

लंदन में मंगलवार तड़के जारी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में इस बार भी पिछले 14 साल से नंबर एक का खिताब एमआईटी को मिला। जबकि इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन दूसरे तो स्टैंनफोर्ड यूनिवर्सिटी तीसरे स्थान पर है। शोधकार्यों में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण आईआईटी दिल्ली की रैंकिंग में जबरदस्त उछाल दिखा है। उसे ओवरऑल 123वां रैंक मिला है। 

आईआईटी बॉम्बे की रैंक में बेशक गिरावट है, लेकिन शोध और बेहतरीन प्रदर्शन के कारण दोनों दिग्गज प्रौद्योगिकी संस्थान टॉप 130 में शुमार होने में कामयाब रहे हैं। जबकि टॉप 200 में आईआईटी मद्रास भी जुड़ गया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनि., बीएचयू, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ,शलूनी यूनिवर्सिटी ऑफ बाॅयोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेस, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और बिरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस की रैंकिंग में सुधार है। वर्ष 2015 में 11 भारतीय संस्थान शामिल थे, जोकि वर्ष 2026 तक बढ़कर 54 हो गए हैं। वर्ष 2026 की रैंकिंग के लिए 106 देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों ने भाग लिया था।

और पढ़े  अच्छी खबर आपके लिए: अब नहीं होगी आधार की फोटोकॉपी लगाने की जरूरत, नए एप और QR कोड से हो जाएगा काम

78 फीसदी विवि में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट
इस साल 78 फीसदी भारतीय विश्वविद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात में गिरावट देखी गई है। यह बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने की लगातार चुनौती हो दर्शाता है। रैंकिंग में पांच फीसदी वेटेज विदेशी- छात्र अनुपात का रहता है। इसका असर सिर्फ रैंकिंग पर नहीं, बल्कि छात्रों के अनुभव पर भी पड़ता है। इससे वे वैश्विक नेटवर्किंग, अंतर-सांस्कृतिक शिक्षक और विविध दृष्टिकोणों के संपर्क से वंचित रह जाते हैं। इस पैरामीटर में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय टॉप 500 में जगह नहीं बना सका है। एकमात्र नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी को इस वर्ग में सबसे अधिक 34. 9 स्कोर के साथ 540वां रैंक मिला है। यहां तक की आईआईटी जैसे संस्थान भी इंटरनेशनल छात्रों को लुभाने में नाकाम रहे हैं। इस पैरामीटर में यह टॉप 1200 में भी जगह नहीं बना सकें हैं। भारतीय संस्थानों को इस पर अधिक सुधार की जरूरत है।

छात्र-शिक्षक अनुपात में एकमात्र ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी
छात्र-शिक्षक अनुपात वर्ग में भारत से एकमात्र सिर्फ ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी टॉप 350 में जगह बनाई है, उसे इस वर्ग में 257वां रैंक मिला है। पिछले साल से 25 पायदान सुधार हुआ है। करीब 63 फीसदी विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में छात्र-शिक्षक अनुपात के कारण गिरावट है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात सही होना बेहद जरूरी है और अधिकतर भारतीय संस्थानों में कमी है। इसमें सुधार से ही वे विदेशी छात्रों को भारत में पढ़ाई करने आने के लिए आकर्षित कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण बिंंदू:
– 11 इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस की रैंकिंग सुधरी है। आईआईटी मद्रास की रैंकिंग 47 स्थान का सुधार हुआ है और ये पहली बार टॉप 200 में शामिल हुई है। इस बार 180 रैंकिंग है।
– नौकरी देने वाली कंपनियों के बीच में भारतीय संस्थानों की छवि अच्छी है। आईआईटी दिल्ली, बॉम्बे, मद्रास, कानपुर, सिम्बायोसिस इंटरनेशनल टॉप 100 में शामिल हैं। भारत, चीन, फीनलैंड और फ्रांस से आगे है।
– नौकरी पाने के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी और मुंबई यूनिवर्सिटी के छात्र सबसे आगे हैं।

भारत फिर से विश्व गुरु बनने की राह पर: क्यूएस
क्यूएस की सीईओ जेसिका टर्नर का कहना है कि भारत दुनियाभर में उच्च शिक्षा के मानचित्र में अहम स्थान बना रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के जरिये भारत फिर विश्व गुरु बनने की राह पर है।

और पढ़े  फास्टैग- नितिन गडकरी का फास्टैग को लेकर बड़ा एलान,₹3 हजार का वार्षिक पास लाएगी सरकार, 15 अगस्त से होगा प्रभावी

उन्होंने कहा, भारत में जहां 40 फीसदी से अधिक लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं, वहां यह अभियान सिर्फ शिक्षा का एजेंडा नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प दिखाता है। वर्ष 2035 तक भारत के 50 फीसदी ग्रॉस एनरोलमेंट अनुपात का लक्ष्य हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयासों की जरूरत है। भारतीय विश्वविद्यालयों ने दुनियाभर में रिसर्च के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है। साथ ही फैकल्टी – छात्र अनुपात, सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय रिसर्च क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

संस्थान: वर्ष 2026- वर्ष 2025 की रैंकिंग ( सुधार या गिरावट)
– आईआईटी दिल्ली : 123- 150 ( 27 पायदान सुधार)
– आईआईटी बॉम्बे : 118- 129 (11 अंकों की गिरावट)
– आईआईटी मद्रास : 180- 227 (47 पायदान सुधार)
-आईआईटी खड़गपुर: 215- 222 (सात पायदान सुधार)
– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बंगलूरू : 219 – 211 (आठ अंक की गिरावट)
– आईआईटी कानपुर: 222- 263 (41 पायदान में सुधार)
– दिल्ली विश्वविद्यालय-: 328- 328 (बराबर)
– आईआईटी गुवाहाटी: 334-334 (बराबर)
– आईआईटी रुड़की: 339- 335 (चार पायदान सुधार)
– अन्ना यूनिवर्सिटी: 465- 383(82 पायदान सुधार
-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी: 1001-1200, 1001-1200 (बराबर)


Spread the love
  • Related Posts

    ईरान-इज़रायल विवाद-  ईरान ने दागीं इस्राइल पर मिसाइलें,प्रधानमंत्री मोदी ने की ईरान के राष्ट्रपति से बातचीत, क्षेत्रीय तनाव को लेकर जताई गहरी चिंता

    Spread the love

    Spread the love इस्राइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है। संघर्ष विराम के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा में ईरान और यूरोपीय देशों के बीच…


    Spread the love

    ईरान-इस्राइल युद्ध: भारत ने पश्चिम एशिया में तनाव के चलते अपनाई ये खास रणनीति, रूस से बढ़ाया कच्चे तेल का आयात

    Spread the love

    Spread the love     ईरान इस्राइल युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो चुकी है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर रविवार तड़के बम बरसाए। जिसके बाद ईरान…


    Spread the love

    error: Content is protected !!