हल्द्वानी- महंगी बिजली: जनता की जेब पर पड़ रहा बिजली का करंट, लोग बोले- 2 माह के बराबर आ रहा 1 महीने का बिल,इसलिए आ रहा है बिल ज्यादा..

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बिजली दरों में बढ़ोतरी के साथ ही वसूले जा रहे कई तरह के शुल्क उपभोक्ताओं की जेब पर करंट लगा रहे हैं। महंगी बिजली खरीदने का बोझ सीधे-सीधे आम लोगों पर पड़ रहा है। हर महीने सिक्योरिटी राशि जमा कराए जाने से भी बिल ज्यादा आ रहा है। चालू वित्तीय वर्ष से ऊर्जा निगम ने दो माह के बजाय हर महीने बिल देना शुरू किया है। घरेलू उपभोक्ताओं का एक महीने का बिल भी अब दो महीने के बराबर आ रहा है। एक माह का बिल दो से लेकर आठ हजार रुपये तक के आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अप्रैल से बिजली की कीमतों में 6.92 फीसदी की बढ़ोतरी है। फिक्स चार्ज में भी 15 से 20 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अतिरिक्त शुल्क ने उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है।

 

बिजली बिल अधिक आने की ये हैं वजह

नए टैरिफ प्लान में बढ़ीं कीमतें

बिजली खपत     पुरानी दरें            वर्तमान दरें

(यूनिट)        (रुपये प्रति यूनिट)     (रुपये प्रति यूनिट)

100                    3.15                 3.40

 

101-200            4.60                  4.90

 

201-400            6.30                  6.70

400 से अधिक      6.95                 7.35

नया फिक्स चार्ज ने भी बढ़ाया बोझ

 

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किलोवाट              पुराना शुल्क (रुपये में)     नया शुल्क

एक किलोवाट              60                            75

एक से दो किलोवाट      70                            85

 

दो किलोवाट से अधिक   80                           100

 

सिक्योरिटी मनी की वजह से बढ़ रहा बिल
अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपॉजिट के नए तरीके ने भी उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है। वार्षिक खपत के आधार पर यह अतिरिक्त राशि वसूली जाती है। किसी उपभोक्ता की वार्षिक बिजली खपत 12,000 रुपये है तो एक माह की औसत बिजली खपत 1000 रुपये का दोगुना यानी 2000 रुपये एकमुश्त लिए जाते थे। अब इसे प्रति माह किस्तों में वसूला जा रहा है। इस प्रकार उपभोक्ता से 166.66 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में वसूले जा रहे हैं। इस डिपॉजिट को 12 महीने में बांटने को निगम भले ही उपभोक्ताओं को राहत देने वाला बता रहा है, मगर यह शुल्क हर महीने ही बिल बढ़ने का कारण बन गया है।

 

 

एफपीपीसीए ने उलझा दिया उपभोक्ताओं को
ऊर्जा निगम बाजार से जो बिजली खरीदता है, उसी दर से उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) के नियम बनाए गए हैं। बिजली दर यदि नियामक आयोग के निर्धारित मूल्य से अधिक है तो अगले महीने उस राशि को उपभोक्ता के बिलों में जोड़ा जा रहा है। वहीं खरीदी गई बिजली की कीमत कम होने पर उपभोक्ताओं को राशि रिफंड की जाती है। हालांकि समायोजन कई-कई महीनों का एक साथ किया जा रहा है। इस वर्ष फरवरी से जून माह तक उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट के हिसाब से अतिरिक्त वसूली की गई और जुलाई और अगस्त माह में धनराशि रिफंड हुई है। यह समायोजन तब समझ आता है, जब बढ़ा हुआ बिल देखकर उपभोक्ता बिजली दफ्तर पहुंचते हैं। इस सबके बीच उन्हें मोटी रकम जमा करने की चिंता कई-कई दिन परेशान रखती है।

 

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वर्ष 2024 में फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट रिफंड (एफपीपीसीए)

माह                 एफपीपीसीए (प्रति यूनिट)

 

फरवरी              40 पैसे अतिरिक्त

मार्च                  13 पैसे अतिरिक्त

अप्रैल                 5 पैसे अतिरिक्त

 

मई                    3 पैसे अतिरिक्त

 

जून                   31 पैसे अतिरिक्त

जुलाई              21 पैसे कम

अगस्त             41 पैसे कम

 

अप्रैल से बिजली के बिल अधिक आ रहे हैं। इस बार एक माह का बिल 2,115 रुपये है। यह पिछले वर्षों के मुकाबले दोगुना है।
-जितेंद्र पारिख, मुखानी

 

जब से एक महीने का बिल आना शुरू हुआ है, तब से बिजली के बिल बढ़ी हुई राशि के आ रहे हैं। मेरा एक माह का बिल 1,682 रुपये का आया है।

 -नीरज राठौर, कुसुमखेड़ा

 

 

अब एलईडी बल्ब के इस्तेमाल के बावजूद बिल काफी बढ़ा हुआ आ रहा है। एक माह का बिल 3088 रुपये आया है। ये पहले के दो माह के बिजली बिल के बराबर है।
– देवकी नंदन जोशी, डहरिया

पिछले कुछ महीने से बिजली के बिल बढ़ा हुआ आ रहा है। इस बार बिजली का बिल 7,991 रुपये का आया है। अप्रैल से पहले बिल कम आता था।
-पंकज, जेके पुरमबिजली

कुछ उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी मनी कम जमा है। नियामक आयोग के निर्देश पर सिक्योरिटी मनी को पूरा करने के लिए हर महीने अतिरिक्त प्रतिभूति धनराशि ली जा रही है।
-नवीन मिश्रा, अधीक्षण अभियंता, यूपीसीएल

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