प्रदेश में धड़ल्ले से यूरिया, डिटर्जेंट मिलाकर नकली पनीर बनाई जा रही है। इसे चमकदार बनाने के लिए टिनोपाल और आला का प्रयोग किया जा रहा है, जो पनीर की विषाक्तता को बढा दे रहा है। इस पनीर को बनाने का सलीका राजस्थान से आए कारीगर सीखा रहे हैं। एफएसडीए ने इन कारीगरों की धर पकड़ के लिए पुलिस से मदद मांगी है। डॉक्टरों का कहना है कि यह पनीर लोगों को कई तरह की बीमारियां दे रहा है।
राजस्थान से आया टिनोपाल का ट्रेंड
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक नकली पनीर के केस पहले भी मिलते थे, लेकिन इस बार चमक बढ़ाने के लिए टिनोपाल और आला मिलाने का मामला सामने आया है। वजन बढ़ाने के लिए खड़िया मिट्टी भी मिला रहे हैं। यह ट्रेंड राजस्थान के अलवर व आसपास के जिले से आए कारीगर ले आए हैं। विभिन्न स्थानों पर पनीर की जांच और पकड़े गए लोगों से इसके पुख्ता सबूत मिले हैं। राजस्थान से आए कारीगर किसी एक जिले में रात के वक्त पनीर तैयार करते हैं और सुबह उसे मंडी में भेजने के बाद संबंधित स्थान से फरार हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें पकड़ना भी मुश्किल है। राजस्थान की सीमा से लगे जिलों में विशेष निगरानी की जा रही है। साथ ही पुलिस से भी मदद मांगी गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कैसे पहचाने नकली और असली
असली पनीर मुलायम, दूधिया महक वाला होता है और पानी में तैरता है, जबकि नकली पनीर सख्त, रबड़ जैसा, केमिकल गंध वाला और पानी में डूबने वाला होता है। नकली पनीर को हाथ से रकड़ने पर रबर जैसा और बहुत चिपचिपा दिखेगा। दबाने पर यह प्लास्टिक की तरह उछलता है। गर्म पानी में डालने पर यह घुलने लगता है और टूट जाता है। कई बार सतह पर तेल या चिपचिपी परत छोड़ सकता है। असली पनीर पर आयोडीन टिंचर डाला जाए तो यह रंग नहीं बदलता है, जबकि नकली पनीर में स्टार्च होने की वजह से नीला या काला हो जाता है।- हरिशंकर सिंह, संयुक्त आयुक्त (खाद्य) एफएसडीए।
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