
केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूली शिक्षकों को छात्रों को हाथ धोने सहित स्वच्छता शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ बायो-डिग्रेडेबल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित करने को कहा है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि स्कूलों के लिए ग्रामीण जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के पूरा होने की प्रतीक्षा करने के बजाय उन्हें एकल पाइप जलापूर्ति का समाधान प्रदान करने के लिए लचीलेपन से काम करना चाहिए।
शिक्षा मंत्रालय, जल शक्ति, ग्रामीण विकास और मंत्रालय द्वारा जारी एक संयुक्त सलाह में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर स्वच्छता सुविधाओं और सुरक्षित पेयजल के प्रावधान और समग्र स्वच्छता बनाए रखने सहित बुनियादी ढांचे का कायाकल्प लंबे समय से पंचायती राज, और नीति आयोग की प्राथमिकता रही है। मिशन-मोड में कार्यान्वित किए जा रहे कुछ कार्यक्रम जैसे स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण और जल जीवन मिशन लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिएक लंबा रास्ता तय कर रहे हैं।
नीति आयोग के सलाहकार ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के तहत, स्कूलों सहित बेहतर पहुंच, खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिरता और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ओडीएफ प्लस के तहत, यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि गांवों के सभी स्कूलों में बायो-डिग्रेडेबल अपशिष्ट और गंदे पानी के प्रबंधन की व्यवस्था हो। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि स्कूलों में सभी शौचालय उचित कार्यशील स्थिति में हों। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) रिपोर्ट 2021-22 में शौचालयों और हाथ धोने की सुविधाओं में कुछ कमियों की ओर इशारा किया गया है।
इसने कहा कि एनसीईआरटी द्वारा स्कूलों में अच्छी स्वच्छता प्रथाओं को विकसित करने के लिए प्राथमिक स्तर पर पूरक सामग्री में ‘स्वच्छता’ पर एक अध्याय शामिल किया गया है। एडवाइजरी में यह भी बताया गया है कि जल जीवन मिशन के तहत, बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और भलाई को सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं में सुरक्षित नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अभी तक, यूडीआईएसई+ 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 10.22 लाख सरकारी स्कूलों में से 9.83 लाख स्कूलों में कार्यात्मक पेयजल सुविधा प्रदान की गई है।