दिल्ली सरकार ने खुले में कचरा, पत्ते, प्लास्टिक, रबर या कूड़ा जलाने पर सख्ती करते हुए पांच हजार रुपये जुर्माना लगाने का फैसला किया है। पर्यावरण विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है। दिल्ली के होटल, रेस्टोरेंट और ढाबे में तंदूर में कोयला-लकड़ी जलाना भी
तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने यह आदेश जारी किया। दोनों आदेशों का मकसद राजधानी में वायु प्रदूषण के सबसे स्रोत पर अंकुश लगाना है। यह कदम राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (एनजीटी) के कई आदेशों के बाद उठाया गया है।
एनजीटी ने निर्दिष्ट किया था कि उल्लंघनकर्ता या इस तरह के कचरे को जलाने में मदद करने वाला कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 15 के तहत मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी होगा। इसके तहत 5,000 रुपये का निश्चित जुर्माना मौके पर वसूला जाएगा। नए निर्देश में पर्यावरण विभाग ने जिला प्रशासन में उप तहसीलदारों और उससे ऊपर के अधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के स्वच्छता निरीक्षकों और वरिष्ठ अधिकारियों को जुर्माना लागू करने का अधिकार दिया है।
आदेश में कहा गया है कि एनजीटी के निर्देशों को सिविल कोर्ट के आदेश के रूप में माना जाना चाहिए और नामित अधिकारियों द्वारा सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। सभी मुआवजा डीपीसीसी के बैंक खाते में जमा किया जाना है। अधिकृत अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे बिना किसी चूक के मासिक कार्रवाई रिपोर्ट डीपीसीसी को प्रस्तुत करें। डीपीसीसी ने वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31ए के तहत जारी आदेश में साफ कहा गया है कि अब तंदूर केवल बिजली, गैस या अन्य स्वच्छ ईंधन से ही चलाए जा सकेंगे। कोयला-लकड़ी से चलने वाले तंदूरों का उपयोग पूरी तरह बंद करना होगा।
डीपीसीसी ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है और कोयले से तंदूर चलाने से स्थानीय स्तर पर प्रदूषण में भारी इजाफा हो रहा है। यह कदम ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के चरण एक के तहत पहले से लागू प्रतिबंधों को और सख्ती से लागू करने की दिशा में उठाया गया है। डीपीसीसी ने सभी नगर निगम आयुक्तों, मुख्य अभियंताओं और संबंधित अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में सघन जांच अभियान चलाने और कोयला-लकड़ी का उपयोग तुरंत बंद कराने के निर्देश दिए हैं।
निजी भूमि पर भी खुले में रखी निर्माण सामग्री होगी जब्त
सड़क के किनारे अनधिकृत तरीके से भवन और निर्माण सामग्री बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी। डीपीसीसी ने सार्वजनिक स्थानों पर रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट, टाइल और पत्थर जैसी सामग्रियों के अनियमित भंडारण को वायु प्रदूषण का मुख्य कारक माना है। अधिकारियों ने बताया कि वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31(ए) के तहत यह फैसला लिया गया है। समिति ने अफसरों को निर्देश दिया है कि वे सार्वजनिक भूमि पर या यहां तक कि निजी भूमि पर भी, बिना उचित आवरण के खुली पड़ी किसी भी सामग्री को जब्त कर लें। दिल्ली नगर निगम के नियमों तहत जुर्माना लगाया जाना चाहिए।









