रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। वह देश की दूसरी और मौजूदा भाजपा शासित राज्यों की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी। विधायक दल की बुधवार शाम हुई बैठक में पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद व ओपी धनखड़ की मौजूदगी में सीएम पद के एक अन्य दावेदार प्रवेश वर्मा ने रेखा के नाम का प्रस्ताव रखा, जबकि आशीष सूद व विजेंद्र गुप्ता ने इसका समर्थन किया।
सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी के बाद रेखा गुप्ता दिल्ली में मुख्यमंत्री पद संभालने वाली चौथी महिला हैं। उनका नाम पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री पद के पांच शीर्ष दावेदारों में लिया जा रहा था और आखिरकार पार्टी नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली की कमान सौंपने का फैसला किया।
रेखा इसलिए… महिलाओं, कोर मतदाताओं को साधने का दांव
- दिल्ली की जीत में इस बार बाकी राज्यों की तरह महिलाओं ने भाजपा का पूरा साथ दिया। पार्टी चाहती है कि यह समर्थन आधार आगे भी साथ रहे। चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक था। महिला मतदाताओं के लिए भाजपा ने बड़े वादे भी किए हुए हैं।
- 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भाजपा या उसके सहयोगियों की सरकार है, पर कहीं भी सरकार की कमान महिला के हाथ में नहीं है। अब यह कमी पूरी कर दी। भाजपा नारी शक्ति वंदन विधेयक पहले ही ला चुकी है।
- सीएम पद के अन्य दावेदारों की तुलना में रेखा अपेक्षाकृत नया चेहरा हैं। किसी तरह का विवाद भी उनसे जुड़ा नहीं है।
- रेखा का परिवार संघ से जुड़ा है। उनका सियासी जीवन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष रहीं। फिर भाजपा में आईं। संगठन में काम किया। दिल्ली भाजपा की महासचिव रहीं, अभी महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं।
- भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले वैश्य समाज के अरविंद केजरीवाल के साथ जाने से उसे सियासी वनवास से गुजरना पड़ा था। इस चुनाव में वैश्य समुदाय की फिर भाजपा में वापसी हुई, तो पार्टी ने रेखा को चुना। इस तरह, केजरीवाल व आतिशी दोनों का विकल्प तलाशने का दांव चला।
रेखा बनाम आतिशी
भाजपा भले ही प्रचंड बहुमत से दिल्ली विधानसभा में पहुंची है, लेकिन विपक्ष भी कमजोर नहीं है। आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी के 22 विधायक सदन में होंगे। कयास लगाया जा रहा है कि आतिशी को नेता विपक्ष के रूप में आप पेश करेगी। ऐसे में सत्ता पक्ष की महिला मुख्यमंत्री ही विपक्ष को करारा जवाब देने में सक्षम होंगी। सदन में तू-तू, मैं-मैं की स्थिति में सत्ता पक्ष अपने सदन के नेता को विपक्ष के सामने चुनौती दिलवाने में कामयाब रहेंगे।