अयोध्या- दशरथ महल बड़ा स्थान में श्रीमद भागवत कथा की अमृत वर्षा 

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गौ,संत,परमार्थ सेवा के प्रमुख केंद्र चक्रवर्ती महाराज दशरथ का राजमहल बड़ा स्थान में श्री राम जन्म उत्सव के पावन अवसर पर दशरथ महल पीठाधीश्वर विंदु गद्दाचार्य स्वामी श्री देवेंद्र प्रसादाचार्य जी महाराज की अध्यक्षता एवं उनके प्रिय शिष्य जगद गुरु अर्जुंद्वाराचार्य कृपालु श्री राम भूषण दास जी महाराज के व्यवस्थापकत्व में वृन्दावन धाम से पधारे ख्यातिलब्ध कथा व्यास श्रद्धेय डॉ मदन मोहन शास्त्री जी के श्री मुख से हो रहे श्रीमद भागवत कथामृत की मंदाकिनी में गोते लगाते हुए स्वयं को कृतकृत्य कर रहे हैं। अनेक धर्म शास्त्रों के मर्मज्ञ यशस्वी कथा व्यास डॉ श्री मनोज मोहन शास्त्री जी महाराज कथा प्रेमी भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा रस का रसपान कराते हुए भगवान श्री राम जी चारों भाईयों के विवाह प्रसंग की विषाद व्याख्या करते हुए कहते हैं चारों भाईयों एवं चारों महारानियो के नाम में उतने ही अक्षर हैं जितने चारों भाईयों के नाम में राम जी के नाम में दो अक्षर तो सीता जी के नाम में भी दो अक्षर हैं इसी प्रकार लक्ष्मण , भरत एवं शत्रुघ्न के नाम में जितने अक्षर हैं उतने ही उनकी महारानियो उर्मिला,मांडवी,श्रुतकीर्ति के नाम भी हैं। व्यास जी ने जनक पुर से माता सीता की विदाई का भावविह्वल कर देने वाले प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा जानकी जी ने कहा अपनी मां सुनयना जी से मां अब मैं जा रही हूं अभी तक में पिता जी की देखभाल कर रही थी अब आप उनका ख्याल रखना,यह सुनकर जनक जी भी रोने लगे। कन्या का जीवन त्यागमय है,विवाह हो जाने पर पति के प्रति ध्यान हो जाता है बच्चे हो जाने पर बच्चों के प्रति आकर्षण हो जाता है। एक दिन में लड़की जिस दिन शादी हो जाती है परिपक्व हो जाती है उसी दिन से उसके विचार बदल जाते है। छोटे भाई को माता पिता की सेवा की सीख देती है। बड़े भाई से कहती है राखी के दिन भूल मत जाना,भाभी को लेकर मेरे घर आ जाना,और अपना ख्याल रखना। व्यास जी कहते है मनु महाराज के बेटी के विवाह पर बहुत रोए कहा बेटी अपने तपस्वी पति का कभी अपमान मत करना,सास,ससुर,गुरु की सेवा करना। पति का रुख देख कर उनका आदेश मानना। कर्दम ऋषि बहुत प्रसन्न हैं। नव कन्याओं का विवाह ब्रह्मा जी के नौ मानस पुत्रों से हुआ। कर्दम ऋषि जी के घर कपिल भगवान का जन्म हुआ,ब्रह्मा जी पधारे कहा कर्दम तेरा पुत्र कपिल भगवान है। कर्दम जी के जाने के समय देवहूति जी ने अपने पति की परिक्रमा की। माता देवहूति ने कहा बेटा तेरे पिता जी के जाने के उपरांत मेरा मन नहीं लग रहा। कपिल भगवान ने कहा माता कभी संतों का अपमान मत करना। कपिल भगवान कहते है हे माता आप संतों के संग रहेगी तो कथा,सत्संग श्रवण करेंगी। कपिल जी ने कहा जब मुझमें मन लग जाता है तो सर्वत्र पवित्र हो जाता है। ध्यान सिद्ध साधक की दशा शराबी जैसी है,शराबी के अंग से वस्त्र कब गिर जाता है जिस प्रकार उसे ज्ञात नहीं होता उसी प्रकार ध्यान सिद्ध साधक के शरीर से कब उसकी मृत्यु रूपी वस्त्र गिर जाता है उसे ज्ञात नहीं होता। विषय जी एक भजन के माध्यम से कथा प्रेमी भक्तों को जागृत करते हुए कहते है बिना राम के क्या कोई रह सकता है। राम शरीर में नहीं तो कुछ भी नहीं। घर से श्मशान की दूरी अधिक तो नहीं किंतु वहां तक पहुंचने में पूरी उम्र बिता दी। कपिल भगवान अपनी मां से कहते है हे मां चार दिनों के ही सभी नाते होते है,जिनकी चिंता की वही चिता जलाते है। कपिल भगवान ने कहा मुझे प्राप्त करने के लिए भक्ति है। भगवान कपिल ने माता के चरणों में प्रणाम किया। माता से बड़ा तो परमात्मा भी नहीं हो सकता। देवहूति आज भी गुजरात में नदी के रूप में सतत प्रवाहित हो रही है।
इस पुनीत अवसर पर हनुमान गढ़ी के यशस्वी श्री महंत माधव दास जी महाराज, पंचमुखी हनुमान मंदिर के यशस्वी पीठाधीश्वर स्वामी श्री भानु दास जी महाराज,महंत श्री राम शरण दास रामायणी, महंत श्री राम कृष्ण दास जी महाराज रामायणी,संत श्री राम नंदन दास जी,श्री महंत बलराम दास जी महाराज हनुमान गढ़ी,डॉ आर,पी,सिंह,वरिष्ठ भाजपा नेता श्री करुणाकर पांडेय,वरिष्ठ भाजपा नेता श्री डिप्पुल पांडेय,वरिष्ठ अधिवक्ता शिव कुमार दास राम शंकर शुक्ला डॉ राम जी दास
सहित बड़ी संख्या मे संत महंत भक्त अतिथि शामिल श्री मद भागवत कथा रस पान कर कृतार्थ होते रहे।जगद गुरु अर्जुन द्वाराचार्य कृपालु श्री राम भूषण दास जी महाराज द्वारा सभी समागत संत महंतो को अंग वस्त्र भेंट प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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