धन्नीपुर गांव में वो जगह जहां मस्जिद बनना प्रस्तावित है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में मुसलमानों को पांच एकड़ ज़मीन आवंटित करने को कहा था जहाँ पर वो एक मस्जिद बना सकें. यह ज़मीन अयोध्या शहर से 26 किलोमीटर दूर धन्नीपुर नाम के गांव में दी गई धन्नीपुर मे कोशिश की कि वहाँ मस्जिद निर्माण का काम कहाँ तक पहुंचा और अयोध्या में मंदिर निर्माण कब तक पूरा होने की संभावना है.
धन्नीपुर में हमारी मुलाक़ात वहां के केयरटेकर सोहराब ख़ान से हुई. उन्होंने ज़मीन दिखाते हुए हमें बताया, “यह पांच एकड़ ज़मीन है, मतलब 20 बीघा. यह पूरी ट्रस्ट की ज़मीन है. निर्माण केवल नक़्शे की वजह से रुका हुआ है. नक्शा विकास प्राधिकरण से पास होना है जिसमें कुछ एनओसी की दिक़्क़तें आ गई हैं. बहुत जल्द उम्मीद है की हो जाएगा.”
जो परियोजना पेपर पर तैयार की गयी उसके मुताबिक़ 23507 वर्ग मीटर की ज़मीन में एक मस्जिद, एक अस्पताल, उसका बेसमेंट, एक म्यूज़ियम और एक सर्विस ब्लॉक बनना है. अस्पताल 200 बेड का होगा, मस्जिद में 2000 नमाज़ियों की संख्या होगी और म्यूज़ियम 1857 स्वतंत्र संग्राम की थीम पर बनाया जायेगा और वह मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित होगा
फ़िलहाल ज़मीन पर पहले से ही एक मज़ार भी मौजूद है.
ज़मीन की आर्किटेक्चरल ड्रॉइंग और नक्शा बना कर अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास जमा किया गया लेकिन कोविड की वजह से शुरुआती दिक्कतें हुईं. बाद में प्राधिकरण की तरफ से एनओसी के लिए कहा गया. अब फायर की एनओसी ट्रस्ट को मुहैया करानी है. उसमें एक चुनौती यह है कि 5 एकड़ ज़मीन का रास्ता सिर्फ़ चार मीटर चौड़ा है, उसे और चौड़ा करने की ज़रूरत है. हालांकि उस दिशा में काम शुरू हो चुका है
कैसे हो रही है धन्नीपुर में परियोजना की फंडिग
इस निर्माण कार्य के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन मस्जिद ट्रस्ट के पास अब तक महज़ 35 लाख रुपए इकठ्ठा हुए हैं. इस्लाम में कहा जाता है कि मस्जिद इलाके के लोग बनाते हैं और फाउंडेशन का कहना है कि कुछ लोग मस्जिद के लिए पैसे देने के लिए सामने आए हैं. अभी तक कोई बड़ी क्राउड-फंडिंग नहीं की गई है. लेकिन दो महीन पहले फ़र्रुख़ाबाद में पैसे जुटाने की कोशिश की गई थी और 10 लाख रुपये जुटाए गए थे. ट्रस्ट का कहना है कि निर्माण कार्य के लिए सभी अनुमति मिलने के बाद पूरे हिंदुस्तान से फंडिंग के लिए एक रोडमैप तैयार हो रहा है.
धन्नीपुर में निर्माण दो चरणों में प्रस्तावित है जिसकी लागत 300 करोड़ रुपये है. पहले चरण में हॉस्पिटल का एक हिस्सा, मस्जिद और कल्चरल सेंटर और क्लाइमेट चेंज को ध्यान में रखते हुए एक ग्रीन बेल्ट शामिल हैं. दूसरे चरण में सिर्फ़ हॉस्पिटल के विस्तार का काम होगा जिस पर 200 करोड़ ख़र्च करने की योजना है.
ट्रस्ट को उम्मीद है कि प्राधिकरण का अप्रूवल मिलने के दो साल में पहले चरण का काम पूरा हो जायेगा. अस्पताल में महिलाओं और बच्चियों के कुपोषण और उससे होने वाली बीमारियों के इलाज की ख़ास सुविधा होगी और कम्युनिटी किचन में संतुलित आहार मिलेगा.
ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन उम्मीद करते हैं कि, ‘अगले दो हफ़्तों में परमिशन मिल जाएगी जिसके बाद निर्माण का काम शुरू हो सकेगा.’
म्यूज़ियम इस परियोजना का अहम हिस्सा होगा. दरअसल ट्रस्ट का मानना है कि राम मंदिर के आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं की वजह से समाज में बंटवारे का माहौल था.
ट्रस्ट के लोगों का यह भी मानना है कि 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम हिन्दू मुस्लिम साझा संघर्ष की मिसाल है और अवध का इलाका इस संघर्ष की ही मिसाल का अहम हिस्सा था.
और ट्रस्ट उस विरासत को म्यूजियम में प्रदर्शित करना चाहता है. इसलिए भी इस म्यूज़ियम को अंग्रेज़ों को हराने वाले अवध के मौलवी अहमदुल्लाह शाह को समर्पित करने की योजना है, जिन्होंने लखनऊ की चिनहट में हुई जंग का नेतृत्व किया था
ट्रस्ट: मंदिर और मस्जिद निर्माण की तुलना मुनासिब नहीं
मस्जिद के निर्माण कार्य और उससे जुड़ी चुनौतियों को बेहतर समझने के लिए हम इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन मस्जिद ट्रस्ट
वहां पर ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया, “सबसे पहले मैं यह कहूंगा कि राम मंदिर और दी गई यह 5 एकड़ ज़मीन की तुलना करना मुनासिब नहीं है. यह ज़रूरी नहीं है. राम मंदिर और उससे जुड़ी तैयारी है, वो लम्बी तैयारी है और नवंबर 2019 के बाद यह बताया गया कि यह पांच एकड़ ज़मीन मिलेगी. ”