अयोध्या- हनुमानगढ़ी के लड्डू के बाद अब खुरचन पेड़े, खड़ाऊ, चंदन, टीका और गुड़ को मिलेगा GI टैग, चेन्नई ने स्वीकार किया आवेदन

Spread the love

अयोध्या- हनुमानगढ़ी के लड्डू के बाद अब खुरचन पेड़े, खड़ाऊ, चंदन, टीका और गुड़ को मिलेगा GI टैग, चेन्नई ने स्वीकार किया आवेदन

अयोध्या के हनुमानगढ़ी का लड्डू जीआई उत्पाद में शामिल होने के बाद अब गुड़, खुरचन पेड़ा, चंदन, टीका और खड़ाऊ भी जीआई उत्पाद में शामिल होंगे। काशी के रहने वाले जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने इन उत्पादों को ओडीओपी में शामिल किए जाने को लेकर जीआई रजिस्ट्री चेन्नई को आवेदन किया है।

चेन्नई ने आवेदन स्वीकार कर लिया है। डॉ. रजनीकांत ने बताया कि तकनीकी व कानूनी प्रक्रिया के तहत इन सभी पांच जीआई आवेदनों को स्वीकार किया है। आने वाले कुछ महीनों में अयोध्या के यह सभी पांचों परंपरागत उत्पाद जीआई टैग के साथ भारत की बौद्धिक संपदा में शुमार होंगे और पूरी दुनिया में गर्व के साथ अयोध्या के असली उत्पादों के रूप में पहुुंचेंगे। इन सभी उत्पादों की जीआई मिलने के बाद लगभग 10 हजार लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।

उन्होंने बताया कि अयोध्या में तीर्थयात्रियों व दर्शनार्थियों की बढ़ती संख्या व मांग के साथ ही दूसरे जगह के बने नकली उत्पादों के भी अयोध्या के बाजार में बढ़ने की संभावना को देखते हुए यहां के परंपरागत उत्पादों को जीआई के लिए आवेदन किया गया। ताकि स्थानीय रूप से कारोबार में वृद्धि हो सके।

श्रीराम को लगता है खुरचन पेड़ा का भोग
डॉ. रजनीकांत ने बताया कि प्राचीन समय से ही खुरचन पेड़ा का भोग प्रभु श्रीराम को लगाया जाता है। यहां लगभग 12 तरह के टीका-चंदन तैयार किए जाते हैं, जिसका प्रयोग विभिन्न संप्रदाय में अलग-अलग तरीके से किया जाता है। सिर्फ तिलक को देखकर ही पहचान की जा सकती है कि साधु, संत, महंत भी अलग-अलग किस संप्रदाय, मठ, अखाड़ों से जुड़े हैं।

और पढ़े  नैनीताल हाईकोर्ट: हाईकोर्ट ने बिना नियमावली के आरक्षण तय करने पर मांगा जवाब, दिए निर्देश

खड़ाऊ के अतिविशिष्ट महत्व
पृथ्वी पर अयोध्या एक मात्र स्थान है जहां त्रेता युग में खड़ाऊ ने 14 वर्ष तक राज्य किया था। आज भी यहां 2 इंच से लेकर बड़ी साइज व विभिन्न प्रकार के खड़ाऊ को स्थानीय शिल्पियों द्वारा बनाया जा रहा है। तीर्थयात्री बड़े श्रद्धा के साथ लकड़ी की चरणपादुका (खड़ाऊ) पूजा के लिए घर लेकर जाते हैं और पहनने के लिए भी बड़े पैमाने आज भी प्रयोग किया जाता है। ओडीओपी उत्पादों में शुमार अयोध्या के गुड़ की प्रसिद्धि भी प्राचीन काल से ही रही है क्यों कि सरयू नदी के जल, मिट्टी व स्थानीय जलवायु के कारण यहां का गुड़ अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।


Spread the love
  • Related Posts

    अयोध्या: नाव पलटने से नदी में डूबे दो दोस्त, किशोर की मौत व दूसरे की तलाश जारी

    Spread the love

    Spread the loveबाबा बाजार थाना क्षेत्र के शेरपुर गांव में दो की कल्याणी नदी में डूबने से मौत हो गई। मृतकों में 18 वर्षीय सुमित कुमार यादव और 14 वर्षीय…


    Spread the love

    स्वतंत्रता दिवस- शाहजहांपुर में धूमधाम से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस, देशभक्ति की भावना से सराबोर हुए लोग

    Spread the love

    Spread the love   शाहजहांपुर में शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस जिलेभर में धूमधाम से मनाया गया। देश की शान तिरंगे को फहराया गया। पूरा जिला देशभक्ति की भावना से सराबोर…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *