अब ड्रोन से मच्छरों पर हमला होगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की टेली मेडिसिन विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना तैयार की है। विभाग विजुअल लाइन ऑफ साइट तकनीक के तहत ड्रोन के माध्यम से गंदगी वाले क्षेत्रों में दवाइयों का छिड़काव करेगा।
एम्स में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर यूज ऑफ ड्रोन इन मेडिसिन की स्थापना की गई है। वर्ष 2023 से नियमित ड्राेन मेडिकल सेवा का संचालन किया जा रहा है। उक्त सेवा का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। अभी तक एम्स की ड्रोन सेवा बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (बीवीएलओएस) पर कार्य कर रही है। इसके तहत दूरस्थ क्षेत्रों में दवाइयां भेजने के साथ ही इन क्षेत्रों के पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पतालों से ब्लड सैंपल एम्स लाए जा रहे हैं।
हब एंड स्पोक मॉडल की तर्ज पर होगा विकसित
एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा को हब एंड स्पोक मॉडल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। एम्स हब के रूप में कार्य करेगा। जबकि अन्य स्वास्थ्य केंद्र स्पोक के रूप में एम्स से जुड़ेंगे। भविष्य में टिहरी के फकोट, पिल्खी और यमकेश्वर को भी इस सेवा से जोड़ा जाएगा। अभी तक इस सेवा का सबसे अधिक फायदा सीएचसी चंबा ने उठाया है। शुक्रवार को भी सीएचसी चंबा से ब्लड सैंपल एम्स लाए गए।
एम्स का ड्रोन मॉडल प्रमुख जर्नल में प्रकाशित
एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा का मॉडल पूरे देश में बेहतर साबित हो रहा है। खास तौर पर दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में यह सफल साबित हो रहा है। डाॅ. जितेंद्र गैरोला ने बताया कि ड्रोन मेडिकल सेवा का रिसर्च पेपर जर्नल ऑफ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर इंडिया, जर्नल ऑफ कम्युनिटी हेल्थ व एम्स के जर्नल ऑफ मेडिकल एविडेंस में प्रकाशित हुआ है।
– एम्स नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा से हर आदमी को जोड़े जाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को इस सेवा का अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए बेहतर प्रयास किए जा रहेे हैं। – प्रो. मीनू सिंह, निदेशक, एम्स ऋषिकेश