शाहजहांपुर में कोर्ट ने अपहरण के 9 आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपियों के उपर साढ़े 27 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दौराने मुकदमा दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। 2 अगस्त वर्ष 2007 को डाक्टर पारस मल्होत्रा का अपहरण हुआ था। उसके बाद तमाम पुलिस के आलाधिकारियों ने शाहजहांपुर में डेरा डाल दिया था।
7 अगस्त 2007 को पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान पारस मल्होत्रा को बरामद कर लिया था। पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। दौराने मुकदमा दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है।
बाइक से आए बदमाशों ने की मारपीट
शासकीय अधिवक्ता संजीव सिंह के अनुसार, शाहजहांपुर में पारस मल्होत्रा का 2 अगस्त वर्ष 2007 की रात करीब 9 बजे भाई विनीत और दोस्त फुरकान के साथ बाइक से घर छोड़ने जा रहे थे। जैसे ही बाइक सवार तीनों लोग एसएस कालेज स्थित नहर के पास पहुंचे थे। तभी एक रोडवेज बस आने पर उन्होंने साइड में बाइक रोकी थी। उसके बाद अलग-अलग बाइक से बदमाश वहां पर आए और तीनों के साथ मारपीट करने लगे थे। उनके पास असलहा भी मौजूद थे।
विनीत ने एफआईआर दर्ज कराई थी
उसके बाद बदमाश पारस मल्होत्रा को जबरन अपने साथ अपहरण करके लेकर चले गए थे। तब अपहृत पारस मल्होत्रा के भाई विनीत ने एफआईआर दर्ज कराई थी। जिस समय घटना हुई थी उस वक्त 11 आरोपी मौके थे। पारस मल्होत्रा शाहजहांपुर के एक डाक्टर के बेटे हैं। मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण पुलिस के आलाधिकारियों ने भी शाहजहांपुर में डेरा डाल दिया था। पारस का अपहरण करने के बाद बदमाशों ने उसको पांच दिन तक अपने पास रखा था और उसके आंखो पर पट्टी भी बांध दी थी। बदमाशों के पारस को छोड़ने के बदले फिरौती भी मांगी थी।
बैग लेते ही बदमाशों ने की थी फायरिंग
अपह्रत पारस को बरामद करने के लिए कई टीमें गठित गई थीं। फिरौती के लिए बदमाशों ने परिवार को फोन किया। बदमाशों ने तिलहर के खानपुर फिरौती की रकम मंगाई। 7 अगस्त को 2007 पारस के भाइयों ने एक बैग में किताबें कागज और पांच हजार रुपए बैग में भरकर तय स्थान पर पहुंचे। उनके साथ पुलिस की टीमे भी पहुंची थीं।