नैनीताल- नैनीताल हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय कहा- पति गंभीर बीमार तो पत्नी अभिभावक बनने की हकदार

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नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में गंभीर बीमार पति की चिकित्सा रिपोर्ट और प्रशासनिक रिकॉर्ड की जांच के बाद पत्नी को अभिभावक बनने की अनुमति प्रदान कर दी। ऐसे व्यक्ति के लिए अभिभावक नियुक्त करने का कोई कानून नहीं है। केरल हाईकोर्ट के एक ऐसे ही मामले में निर्णय दिया था।

न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष नैनीताल निवासी एक कॉलेज में स्पोर्टस टीचर महिला ने जून 2023 से कोमा में अपने 42 वर्षीय पति मुकेश जोशी का संरक्षक बनने की अनुमति प्रदान करने को याचिका दायर की थी।

अभिभावक के रूप में महिला किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने की हकदार होगी। कोर्ट ने साफ किया है कि यदि महिला के पति की तबीयत ठीक हो जाती है, या अधिकार का दुरुपयोग या वित्तीय अनियमितता होती है,यदि उपचार के संबंध में देखभाल, संरक्षण, सहायता की आवश्यकता होती है तो इस अनुमति को रद किया जा सकता है। महिला ने 2022 में मुकेश के साथ विवाह किया।उनकी एक साल की बच्ची है। महिला के पति पिछले साल दो ब्रेन स्ट्रोक के बाद कोमा में चले गए। महिला ने शादी का पंजीकरण करने, उनकी बेटी का आधार कार्ड बनाने, पति के बैंक खाते का प्रबंधन को अभिभावक बनने की प्रार्थना की है। अब तक वह पति के इलाज पर 35 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुकी हैं।


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