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विश्व गर्भावस्था दिवस 2024- शादी की आयु,मातृ मृत्यु दर दोनों में हुआ सुधार, 35 की उम्र में मां बनने में है  कई चुनौतियां

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हानगरीय शहरों में बदलती जीवन शैली के बीच बढ़ती मां बनने की उम्र नवजात के साथ महिलाओं के लिए चुनौती बढ़ा रही है। ऐसी महिलाओं में प्रसव के दौरान लेबर ट्रॉमा सहित दूसरी बीमारियां होने की आशंका बढ़ गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि 35 की उम्र में गर्भावस्था धारण करने वाली महिलाओं में प्रसव के दौरान कई चुनौतियां सामने आती हैं। ऐसी महिलाओं में प्रसव क्रिया लंबी चलती है। जिससे नवजात के साथ मां को परेशानी होती है। इसके अलावा डिलीवरी में सर्जरी की जरूरत, कई बार बच्चे को बाहर निकालने के लिए उपकरणों का इस्तेमाल सहित दूसरी जरूरतें बढ़ जाती हैं।

नेशनल एसोसिएशन फॉर रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. अचला बत्रा ने कहा कि स्वस्थ मां के लिए 20 से 35 साल की उम्र सबसे बेहतर है। वहीं 35 के बाद महिलाओं में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। इसकी रोकथाम के लिए समय पर उचित जांच करवानी चाहिए।

मातृ मृत्यु दर में सुधार
दिल्ली में मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। दिल्ली में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण पर वार्षिक रिपोर्ट, डीईएस (दिल्ली) के अनुसार, दिल्ली में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) 2019 में 0.55 से घटकर 2022 में 0.49 रह गया है। रिपोर्ट का कहना है कि किसी क्षेत्र में मातृ मृत्यु दर उस क्षेत्र की महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का एक माप है। प्रजनन आयु-अवधि में कई महिलाएं गर्भावस्था और प्रसव या गर्भपात के दौरान या उसके बाद होने वाली जटिलताओं के कारण दम तोड़ देती है। इसकी रोकथाम के लिए दिल्ली में कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) उन महिलाओं की संख्या को संदर्भित करता है जो किसी दिए गए वर्ष में प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर गर्भावस्था या प्रसव की जटिलताओं के परिणामस्वरूप दम देती है।

दिल्ली की आधी महिला एनीमिया का शिकार
दिल्ली में करीब आधी महिलाएं खून की कमी से परेशान हैं। दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय की दिल्ली में महिलाएं और पुरुष-2023 रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की महिलाओं में एनीमिया के मामले घटे हैं, लेकिन आंकड़ा अभी भी 50 फीसदी के करीब है।

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रिपोर्ट के मुताबिक एनीमिया एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है। गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया प्रतिकूल प्रजनन परिणामों जैसे समय से पहले प्रसव, कम वजन वाले शिशुओं का जन्म और बच्चे के लिए आयरन की कमी का कारण बन सकता है। इसके अलावा बच्चे के विकास में भी बाधा बन सकता है। एनएफएचएस के अनुसार दिल्ली में आयु वर्ग (15-49 वर्ष) की महिलाओं में एनीमिया में कमी हुई है। साल 2015-16 में दिल्ली की 54.3 फीसदी महिलाएं खून की कमी से परेशान थीं। साल 2019-21 में यह घटकर 49.9 फीसदी रह गई हैं।

स्वास्थ्य केंद्रों पर बढ़ी प्रसव दर
दिल्ली में स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के प्रसव की संख्या बढ़ी है। दिल्ली में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण पर वार्षिक रिपोर्ट, डीईएस (दिल्ली) के अनुसार दिल्ली स्तर पर संस्थागत जन्म दर 2015 में 84.41 फीसदी थी। यह साल 2022 में बढ़कर 94.02 फीसदी हो गई।

शादी की आयु में सुधार
भारत सरकार के महापंजीयक कार्यालय की नमूना पंजीकरण प्रणाली के अनुसार दिल्ली में लड़कियों की शादी की आयु में सुधार हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में दिल्ली में महिलाओं की शादी की औसत आयु बढ़कर 24.4 वर्ष हो गई हे। यह साल 2011 के मुकाबले करीब दो साल अधिक है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह आयु 22.7 वर्ष है। जो 2011 के मुकाबले करीब 1.5 साल अधिक है।

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