लालकुआं:- ग्रामीण इलाकों में इन दिनों फल फूल रहा चरस, गांजे का कारोबार,खुलेआम पुलिस-प्रशासन के आंख के नीचे हो रहा खेल।
लालकुआं शहर सहित इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों चरस,गांजा (पात्ता) का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है शहर एवं गांव की गलियों में बिक रही नशीली वस्तुएं युवाओं की जिंदगी तबाह कर रही हैं।आलम यह है कि शहर में जगह-जगह खुलेआम पुलिस-प्रशासन के आंख के नीचे चरस गांजा (पात्ता) की बिक्री हो रही है। शहर के गली मोहल्लों में गांजा आसानी से मुहैया हो रहा है। लेकिन पुलिस प्रशासन धृतराष्ट्र की भूमिका में मशरूफ है यही वजह है कि गांजे का अवैध कारोबार करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
बताते चले कि बीतें एक साल से चरस गांजे के अवैध धंधे में लिप्त कारोबारियों पर पुलिसिया चाबुक नही चला हैं। यहां भी बताना जरूरी है कि शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कई वर्षों से गांजे का अवैध कारोबार खुलेआम हो रहा हैं। गांव-गांव तक फैला यह व्यापार तेजी से लोगों के बीच नशा बांट रहा हैं। नशे के इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए नारकोटिक्स एक्ट बनाया गया है लेकिन पुलिस व आबकारी विभाग गांजे की बिक्री पर अंकुश नहीं लगा पा रही हैं। आलम यह है कि इसके गिरफ्त में युवा वर्ग चपेट में आ चुका है।
स्कूल कालेज बने आड्डा।
अक्सर देखा जाता है कि नशे के आदी व्यक्ति कहीं भी चिलम सुलगाने लगते है। चाहे वह सार्वजनिक स्थान हो या फिर खुला मैदान, इतना ही नही इस तरह का नशा करने वाले लोग सड़क के किनारे भी बैठ कर चिलम चढ़ाने लगते हैं। पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों शहर क्षेत्र के कालेज, स्कूल की पहली पसंद है जहां सूरज ढलते ही गांजे की कश लगाने वालों को आसानी से देखा जा सकता है जिनमें ज्यादातर छोटे तबके के लोगों के अलावा शहर के रसूखदारों की भी बराबर मौजूदगी रहती है। पर विडंबना यह है कि शहर में पुलिस थाना होने के बाबजूद इस पर अब तक अपनी आंखे मूंदे हुये है।
शहर के कई गली मोहल्ले के साथ होटल ढाबों पर हो रही बिक्री
वैसे तो पूरे शहर में गांजे के शौकीनों को आसानी से गांजा मुहैया हो जाता है, लेकिन गांजे का अवैध कारोबार शहर में मुख्य रूप से अम्बेडकर नगर वार्ड एक,जवाहर नगर वार्ड तीन,बंगाली कालौनी,वीआईपी गेट क्षेत्र में चरस गांजे(पात्ता) के कई अड्डे स्थित है जहाँ 24 घंटे खुलेआम गांजे की बिक्री होती है”सूत्रों के अनुसार वीआईपी गेट की बात करें तो यहाँ चरस,गांजे का सबसे बड़ा कारोबार होता है यहाँ बेचने वाले कारोबारी माचिस की डिब्बी में चरस रखकर चरस बेचते हैं इनका कारोबार सुबह से लेकर रात तक बेरोकटोक चलता है इन कारोबारियों को पुलिस अच्छी भांति जानती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर अनजान बनी हुई है।
प्रतिमाह लाखों रूपए का अवैध कारोबार
पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं करने से चरस गांजा (पात्ता) के कारोबारी बेखौफ होकर खुलेआम नशे के नाम पर मौत की पुडिया बेच रहे है। एक अनुमान के मुताबिक शहर एवं इसके आस-पास के ग्रामीण इलाकों में प्रतिमाह लगभग 20-30 लाख रुपये की चरस गांजे की बिक्री हो रही है जिसकी दो ही वजह संभव है या तो चरस गांजे का अवैध कारोबार पुलिसिया संरक्षण में फल-फूल रहा है या फिर पुलिसिया खुफिया तंत्र को चरस गांजे के अवैध कारोबार के विषय में कोई इनपुट नहीं मिल पा रही है। ऐसे में दोनों ही स्थितियों को क्षेत्र के हित नहीं माना जा सकता।