Jail Break: बहुचर्चित नाभा जेल ब्रेक केस में आया फैसला, 22 दोषियों को सुनाई गई 10-10 साल कैद की सजा।
बहुचर्चित नाभा जेल ब्रेक केस में पटियाला की अदालत ने गुरुवार को 22 दोषियों को दस-दस साल की कैद की सजा सुनाई। इनमें नौ खतरनाक गैंगस्टर और दो जेल मुलाजिम शामिल हैं। इस मामले में छह आरोपियों को बरी किया जा चुका है।
बरी किए आरोपियों में मोहम्मद असीम, नरेश नारंग, तेजिंदर शर्मा, जतिंदर सिंह उर्फ टोनी, वरिंदर सिंह उर्फ रिकी सहोता व रणजीत सिंह शामिल हैं। इन सभी पर जेल ब्रेक कांड की साजिश रचने, जेल तोड़ने वाले अपराधियों को हथियार मुहैया कराने, इनकी पैसों से मदद करने व बाद में इन्हें पनाह देने के आरोप लगे थे। लेकिन सबूतों के अभाव में कोर्ट ने इन सभी को बरी कर दिया। अदालत की ओर से दोषी करार दिए 22 अपराधियों में 9 खतरनाक गैंगस्टर गुरप्रीत सिंह सेखों, अमनदीप सिंह उर्फधोतियां, सुलखन सिंह उर्फ बब्बर, मनवीर सिंह उर्फ मनी सेखों, कुलप्रीत सिंह उर्फ नीटा दियोल, गुरप्रीत सिंह खौरा, बिकर सिंह, पलविंदर सिंह उर्फ पिंदा व जगतवीर सिंह उर्फ जगता शामिल हैं। इनके अलावा दोषी करार दिए अपराधियों में गुरप्रीत, गुरजीत सिंह उर्फ लडा, हरजोत सिंह उर्फ जोत, कुलविंदर सिंह उर्फ ढिमबरी, राजविंदर सिंह उर्फ राजू सुल्तान, रविंदर सिंह उर्फ ग्याना, सुखचैन सिंह उर्फ सुक्खी, मनजिंदर सिंह, अमन कुमार, सुनील कालड़ा, किरण पाल सिंह उर्फ किरणा, जेल मुलाजिम भीम सिंह व जगमीत सिंह शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक जेल मुलाजिमों पर अनलाफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) व भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे, लेकिन अदालत में यह साबित नहीं हो सके और इन दोनों जेल मुलाजिमों को कोर्ट ने केवल ड्यूटी में लापरवाही बरतने का ही दोषी पाया है। वहीं मनजिंदर सिंह, अमन कुमार, सुनील कालड़ा व किरण पाल सिंह पर आरोपियों को आश्रय देने के दोष साबित हुए हैं। बाकी पर हत्या की कोशिश, सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने, डकैती करने की धाराओं के तहत दोष साबित हुए हैं।