मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे ने हर किसी की आंखों को नम कर दिया है। ह्दय विदारक हादसे में अपनों को खो देने वाले उनकी तलाश में आगरा से मथुरा तक भटक रहे हैं। जो अस्पतालों में नहीं मिले उन्हें पोस्टमार्टम गृह में तलाश जा रहा है। पोस्टमार्टम गृह में रखे शवों के बैग देखकर लोगों की चीखें निकल रही हैं। दहाड़े मार-मारकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से अपनों की जानकारी मांग रहे हैं।
कानपुर, गोविंद नगर के रहने वाले उमाकांत के पुत्र अनुज श्रीवास्तव (32) ईवेंट कंपनी चलाते थे। वह साथी के साथ दिल्ली जा रहे थे। इस हादसे के बाद से उनका कोई पता नहीं चल सका है। भाई शुभम और उनकी पत्नी तलाश में लगे हैं।
आंबेडकरनगर के टांडवा जलाल के रहने वाले सुनील कुमार रोडवेज की बस लेकर आजमगढ़ से दिल्ली जा रहा था। साथ में एक अन्य चालक रामअवधराम और परिचालक गिरीश शर्मा थे। बस में 46 सवारियां बैठी थीं। क्षेत्रीय प्रबंधक बीपी अग्रवाल ने बताया कि सुनील का कोई पता नहीं चल रहा है। उसका फोन बंद है। हादसे में कंडक्टर के बैग में रखे 58 हजार रुपये और दस्तावेज खाक हो गए हैं जबकि गिरीश और रामअवध राम घायल हैं। राम अवधराम का एसएन मेडिकल कॉलेज इलाज चल रहा है।
हमीरपुर राठ निवासी गोविंद की पत्नी पार्वती (32) नोयडा जा रहीं थीं। उसके पति और बेटे पार्वती की तलाश में भटक रहे हैं। रेपरा बांदा के देवराज अपने बेटे रिषभ 15 वर्ष के साथ दिल्ली मजदूरी करने जा रहा था। हादसे में उनका बेटा लापता है। आगरा, वृंदावन और मथुरा के जिला अस्पताल और पोस्टमार्टम गृह में वे तलाश रहे हैं, लेकिन रिषभ का कोई पता नहीं चल रहा है।
मथुरा में एक्सप्रेस-वे पर भीषण हादसा: 12 बसों और तीन कारों में टक्कर
कई यात्री बसों में ही जल गए, उन्हें पहचानना मुश्किल है। इनकी शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। दमकल की 15 गाड़ियों ने दो घंटे में आग पर बमुश्किल काबू पाया। घायलों को मथुरा, वृंदावन और आगरा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजन को दो-दो लाख और सीएम ने घायलों को 50-50 हजार देने की घोषणा की है।
मृतकों में रेलवे बोर्ड के सदस्य भाजपा नेता प्रयागराज निवासी अखिलेंद्र प्रताप यादव भी शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि घने कोहरे के कारण दृश्यता शून्य थी। इसी दरम्यान मंगलवार तड़के करीब पौने चार बजे माइलस्टोन 127 के पास घटना हो गई। एक-एक करके बसें टकरा गई।
पीछे से आ रहीं तीन कारें भी इनमें घुस गई। हादसा होते ही चीखपुकार मच गई। बसों में फंसे यात्री खिड़कियों के शीशे तोड़कर कूदने लगे। आपाधापी इस कदर थी कि सबको अपनी जान बचाने की पड़ी थी। इसी बीच बसों से आग की लपटें उठने लगीं।
जो लोग घायलों को बाहर निकाल रहे थे वे भी आग की लपटें उठने पर भाग गए। इन बसों के चालक, परिचालकों का भी पता नहीं चल सका है। उधर, कारों में सवार लोग भी बाहर निकलकर भागे। कुछ ही देर में लपटों ने 8 बसों और कारों को चपेट में ले लिया।
गाड़ियां धू-धू कर जलने लगी। घटनास्थल पर मचे कोहराम के बीच आसपास के ग्रामीणों ने आग बुझाने का प्रयास किया मगर सफलता नहीं मिली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने हादसे की भयावहता को देखकर एंबुलेंस और दमकलों को बुलाया। करीब एक घंटे के बाद मथुरा, हाथरस और आगरा से दमकलें घटनास्थल पर पहुंची।
एंबुलेंस और पुलिस की गाड़ियों से करीब 100 घायलों को मथुरा, वृंदावन और आगरा के अस्पतालों में भेजा गया। निजी बसें गोंडा, जालौन, कानपुर, जौनपुर, हमीरपुर, बहराइच, प्रयागराज से दिल्ली जा रही थी। रोडवेज बस आंबेडकर नगर डिपो की थी जो आंबेडकर नगर से दिल्ली जा रही थी।
घटना के बाद एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ, मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह, डीआईजी शैलेश पांडेय, डीएम चंद्रप्रकाश सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार ने घटनास्थल और अस्पतालों का निरीक्षण किया और इंतजाम करवाए। देर रात तक शवों की शिनाख्त कराने का प्रयास किया जा रहा था।
घटनास्थल पहुंचे मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार ने बताया कि सीएनजी वाहन की टक्कर से बस में आग लग गई। बस में लगे एयर कंडीशनर भी जल गए। मामले की जांच के लिए एडीएम स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में पांच विभागों की संयुक्त जांच कमेटी बनाई गई है। कमेटी को तीन दिन में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। रिपोर्ट में हादसे की वजह के साथ-साथ रोकथाम के लिए क्या-क्या उपाय किए जाएं, यह भी बताने को कहा गया।








