अक्षय तृतीया हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है। इस बार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 32 मिनट पर शुरू हो रही है और इसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक इस साल 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया है। इसे‘आखातीज’या ‘वैशाख तीज’के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी की पूजा और सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा है। यदि इस तिथि पर दान, पूजा-पाठ व हवन, जागरण किया जाए, तो साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण प्राप्ति होती हैं। पौराणिक कथा की मानें तो, अक्षय तृतीया पर त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा इसी तिथि पर परशुराम जी का जन्म भी हुआ था।
ऐसे में अक्षय तृतीया देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना व उन्हें प्रसन्न करने की सबसे उत्तम तिथि है। ऐसे में आइए इस दिन की संपूर्ण पूजा विधि को जानते हैं।
- अक्षय तृतीया पर पूजा करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
- इसके बाद साफ पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- अब पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर लें।
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