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अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से समृद्धि, सफलता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ होता है अनंत या शाश्वत, अर्थात वह जो कभी समाप्त नहीं होता। इसी कारण इसे शाश्वत समृद्धि का दिन माना जाता है। इस दिन को नया कार्य शुरू करने, विशेषकर व्यापार, गृहप्रवेश, विवाह और शिक्षा की शुरुआत के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
इसके अलावा, अक्षय तृतीया पर सोना और चांदी खरीदने की परंपरा भी है, जो समृद्धि और सुख-समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है। इस दिन दीपदान करने का भी विशेष महत्व होता है, जिससे घर में लक्ष्मी का वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी, जो विशेष योग और शुभ मुहूर्त के साथ है।
अक्षय तृतीया पर दीपदान का महत्व
अक्षय तृतीया पर दीपदान का अत्यधिक महत्व है। यह दिन समृद्धि, शुभता और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। इस दिन दीप जलाने से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह लक्ष्मी और कुबेर की कृपा भी प्राप्त करता है। दीपक का प्रकाश अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। खासतौर पर मुख्य दरवाजे, उत्तर दिशा और पितरों के स्थान पर दीप जलाने से घर में धन, सुख और रिश्तों में मजबूती आती है। इस दिन दीपदान करने से जीवन में हर तरह की नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मकता का प्रभाव बढ़ता है, जिससे पूरे साल सुख-समृद्धि का वास रहता है।
अक्षय तृतीया पर कहां-कहां करें दीपदान
अक्षय तृतीया पर दीपदान का विशेष महत्व होता है और इसे घर में विभिन्न स्थानों पर जलाने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया पर किन स्थानों पर जलाना चाहिए दीपक।
मुख्य दरवाजा
घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर दीपक जलाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और घर में धन, सुख और समृद्धि का प्रवेश होता है। यह स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार होता है।
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा में दीपक जलाने से धन और समृद्धि का वास होता है, क्योंकि इस दिशा में धन के देवता कुबेर का वास माना जाता है। इससे घर में आर्थिक समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
रसोई
किचन में पानी रखने वाली जगह पर दीपक जलाने से पितरों की कृपा बनी रहती है और घर में शांति का माहौल बना रहता है। यह स्थान पितृ आशीर्वाद और आंतरिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।
जल स्थान
घर के पास कोई जल स्रोत जैसे तालाब, कुआं या नदी हो तो वहां दीपक जलाने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। जल स्रोतों पर दीप जलाना खासकर शुभ होता है।
पूजा स्थल
घर के पूजा स्थल या मंदिर में दीपक जलाने से धार्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन विशेष रूप से दीपक की ज्योति से भगवान की पूजा करना सुख और समृद्धि का कारण बनता है।
अक्षय तृतीया 2025 की तिथियां और मुहूर्त
अक्षय तृतीया इस साल 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को सायं 5:31 बजे से शुरू होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 02:12 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए विशेष मुहूर्त प्रातः 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा।
सोना खरीदने का शुभ समय
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा है, जो समृद्धि और स्थायी धन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इसे शुभ शुरुआत का दिन माना जाता है। इस दिन सोना खरीदने के लिए 30 अप्रैल, प्रातः 5:41 बजे से लेकर दोपहर 02:12 बजे तक का समय सबसे शुभ है। अगर सोना खरीदना संभव न हो तो आप अन्य शुभ वस्तुएं जैसे पीतल के बर्तन, मिट्टी के बर्तन और पीली सरसों भी खरीद सकते हैं, जो विशेष रूप से इस दिन के लिए शुभ मानी जाती हैं।
अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए “न्यू भारत” उत्तरदायी नहीं है।