क्षेत्र से गुजरने वाली बलान नदी के जलस्तर में लगातार बृद्धि जारी है।जिससे कुशेश्वरस्थान उतरी ,दक्षिणी,केवटगामा, महिशौथ भिण्डुआ ,तथा सुघराइन के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।जिससे असमय बाढ़ आने से किसानों के बीच गहरी मायूसी देखी जा रही है।इस क्षेत्र के किसानों की नगदी फसल में मक्का और मूंग को सर्वोत्तम माना जाता है इसी फसल पर किसानों की सालों भर की कमाई से घर की खर्च से लेकर पढ़ाई एवं दवा तक चलता है। फसल नष्ट होने से किसानों के बीच भुखमरी की समस्या उतपन्न हो सकती है?
किसान गोलमा के रामकुमार राय, संजय सिंह, शंभु साह, रमेश यादव सहित क़ई किसानों ने बताया कि इस बारिश एवं बाढ़ की पानी से मक्के और मूंग की फसल बर्बाद हो गया है कोई सरकारी स्तर से सुधि लेने के लिए नही आये हैं।हमलोगों को सहायत दिया जाय । सालोभर की कमाई सब बर्बाद हो गया है अब कैसे घर चलेगी । सबसे ज्यादा गरीब तबके के किसानों को छती हुई है जो कर्ज लेकर बटाई ओर खेती की है । किसान अपने फसल को देखकर आंख से आंसू टपक जाता है। अपने सर पर हाथ रखकर चिंतित है यहां के किसान ?
वही कमला बलान पष्चिमी तटबंध से पूरब बसे इटहर,उसडी,उजुआ सिमेटोका, तिलकेश्वर पंचायत के दर्जनों गांवों में बारिश से मक्के तथा मूंग की फसल नष्ट हो गया है। वही उतरी पंचायत एवं भिणडुआ के लोगो को प्रखंड मुख्यालय आने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। इधर किसान की फसल पानी मे डूबने से अभी तक मक्के की फसल को पानी से निकाल रहे हैं और धूप में सुखाते है । जबकि मक्के के फसल के 40 प्रतिशत सड़ गए हैं और पानी बह भी चुके हैं?
बिरौल : यास तूफान के बाद प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ का खतरा।
