चार सौ पचास से अधिक की जनसंख्या वाला विकासखंड नारायणबगड का ग्राम पंचायत सिलकोटी के सात तोकों में अधिकतर काश्तकार जंगली जानवरों से परेशान हैं।
खबर भारतवर्ष की टीम ने जब सूचना पर ग्राम पंचायत सिलकोटी के सातों गांव का भ्रमण किया तो पाया कि यहां पर अधिकांश महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे ही गांव में मौजूद हैं।बाकी युवा और पुरुष रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं।
यहां की महिलाओं से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि जब गांव की खेती को जंगली जानवरों ने चौपट कर डाली तो यहां के अधिकांश पुरुष रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन कर गए हैं जिस कारण आए दिन जंगली जानवर के उत्पात से उनको किसी भी विभाग से या शासन से पत्राचार करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। असल में यह ग्राम पंचायत विकासखंड मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर जंगल और पहाड़ी के छोर पर है और यहां से महिलाओं के लिए जंगली जानवरों के नुकसान की सूचना और उस पर कार्यवाही करने के लिए विकासखंड मुख्यालय आना किसी टेढ़ी खीर से कमतर नहीं है। इसलिए वे किसी भी विभागों से मदद की गुहार भी नहीं लगा पा रहे हैं। गांव में अधिकतर महिलाएं और बुजुर्ग ही हैं तो पहाड़ी महिलाओं को घर गृहस्थी के लिए दूसरे ज़रूरी कार्यों से ही फुर्सत नहीं मिलती।
यहां गांवों में गेहूं और सरसों आदि की फसलों को सुंवरों ने खोद-खोद कर बर्बाद कर रखे हैं तो बंदरों और हिरनों यह आदि जंगली जानवरों ने भी काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रखा है। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी खेती-बाड़ी की सुरक्षा के लिए कारगर उपाय किए जाएं।