गोरखपुर में सरकारी विभागों में टेंडर दिलाने का झांसा देकर ठगी के आरोपी फर्जी आईएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार सिंह का नेटवर्क चार राज्यों में फैला हुआ था। पुलिस के मुताबिक, 40 से अधिक लोग ठगी के शिकार हुए हैं। फर्जी आईएएस सफेद लग्जरी गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती लगाकर सरकारी अफसर की तरह गांव और शहरों में निरीक्षण करता था।
बिहार के भागलपुर में असली एसडीएम से सामना होने पर उसने उनके रैंक और बैच पूछने पर दो थप्पड़ तक मार दिए थे। इसके बावजूद एसडीएम ने शर्मिंदगी के चलते शिकायत दर्ज नहीं कराई।
इसका पर्दाफाश पुलिस की जांच में हुआ। पुलिस की पूछताछ में गौरव ने बताया कि वह अपने साले अभिषेक कुमार की मदद से सोशल मीडिया पर खुद को आईएएस अफसर के रूप में प्रमोट करता था। अभिषेक के दोस्त परमानंद गुप्ता से पहचान होने के बाद यूपी में उसका नेटवर्क तेजी से बढ़ा।
बीते तीन साल में उसने यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में बिल्डरों और कारोबारियों को सरकारी काम दिलाने का झांसा देकर पांच करोड़ रुपये और दो इनोवा कारें तक ठग लीं।
गौरव ने पुलिस को बताया कि एक साल तक अंडरग्राउंड रहने के दौरान उसने बिहार के सीतामढ़ी के रीगा निवासी प्रीति को प्यार के जाल में फंसाकर घर से भगा लिया और मंदिर में शादी कर ली।
पैसे की जरूरत पड़ी तो अभिषेक के साथ मिलकर नौकरी और सरकारी टेंडर दिलाने का फर्जी रैकेट खड़ा कर दिया। अभिषेक सॉफ्टवेयर जानता था और सीतामढ़ी में उसकी पकड़ मजबूत थी, जिससे गौरव के लिए फर्जी पहचान बनाना आसान हो गया।
पांच करोड़ रुपये और दो लक्जरी कारें तक ठगीं
उसने बताया कि पहले वे जालसाजों से नकली आईडी और कागज बनवाते थे लेकिन एआई आने के बाद अखबारों की कतरन, टेंडर और सरकारी दस्तावेज मिनटों में तैयार करने लगे। पिछले तीन वर्षों में उसने यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड के कई बिल्डरों और कारोबारियों को सरकारी टेंडर दिलाने का झांसा देकर पांच करोड़ रुपये और दो लक्जरी कारें तक ठग लीं।
चार में से तीन गर्लफ्रेंड हैं गर्भवती
गौरव ने स्वीकार किया कि आईएएस की फर्जी प्रोफाइल से उसकी कई लड़कियों से दोस्ती हुई और उसने चार गर्लफ्रेंड बना लीं। पुलिस को उसके फोन से लंबी चैट मिली, जिसमें पता चला कि तीन लड़कियां गर्भवती हैं और उन्हें गौरव की शादीशुदा जिंदगी व असली पहचान की जानकारी तक नहीं थी।
निरीक्षण के दौरान रखता था कई फाइलें
गौरव अपने साथ 10-15 लोगों का दल रखता था। कुछ सुरक्षा में और कुछ सरकारी फाइलें लेकर चलते थे ताकि माहौल असली अफसर जैसा दिखे। गोरखपुर के भटहट इलाके के एक सरकारी स्कूल में उसने निरीक्षण भी किया था। जब एक शिक्षक ने सवाल पूछे तो उसे बताया था कि केंद्र सरकार ने 18 जिलों का निरीक्षण सौंपा है।
व्यापारी के डर से छह महीने गोरखपुर में छिपा, पड़ोसियों पर छोड़ रखा था अधिकारी वाला प्रभाव
बिहार के मोकामा निवासी व्यापारी मुकुंद माधव के पांच करोड़ रुपये फंसने के बाद वह लगातार गौरव पर दबाव बना रहा था। इसके डर से गौरव लखनऊ छोड़कर गोरखपुर के गुलरिहा थाना क्षेत्र में किराए के मकान में पत्नी और दो बच्चों के साथ रहने लगा। घर के बाहर आईएएस गौरव कुमार का बोर्ड लगा था।
पड़ोसी रामप्रीत, आकाश और सरोजनी यादव ने बताया कि गौरव का व्यवहार तो सामान्य था, लेकिन उसके घर के बाहर अक्सर असलहा लिए गार्ड और चार-पांच गाड़ियां खड़ी रहती थीं, जिससे मोहल्ले में उसका रौब बना रहता था। पड़ोसी अजय के मुताबिक, उसके गार्ड असम और कोलकाता के थे। उसके रहन-सहन और चाल-ढाल से कभी नहीं लगा कि वह एक बड़ा जालसाज है।
गौरव उर्फ ललित बड़े नेटवर्क में काम करता था। कई दस्तावेज और फोन डेटा में नए फैक्ट मिले हैं। उसकी जालसाजी की पूरी परतें खोलने के लिए बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश पुलिस से संपर्क किया गया है। जल्द ही गिरोह के अन्य गुर्गे भी पुलिस को गिरफ्त में होंगे।-अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
दो करोड़ की ठगी करने वाला फर्जी आईएएस साले और साथी संग भेजा गया जेल
सरकारी विभागों में 200 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने का झांसा देकर बिहार निवासी युवक से दो करोड़ रुपये की ठगी करने वाले फर्जी आईएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार, उसके साले और एक अन्य साथी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बिहार के सीतामढ़ी मेहसौल का रहने वाला यह जालसाज लंबे समय से यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में नेटवर्क बनाकर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर चुका था।
टीम ने तीनों के कब्जे से 4.15 लाख रुपये नकद, बड़ी मात्रा में ज्वैलरी, एटीएम-पासपोर्ट, लैपटॉप, मोबाइल और एआई तकनीक से तैयार कूटरचित दस्तावेज बरामद किए। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में ललित के साले अभिषेक कुमार और गोरखनाथ क्षेत्र के लच्छीपुर निवासी परमानंद गुप्ता भी शामिल हैं।
यह गिरोह झुगिया बाजार में बने एक आलीशान दफ्तर से ठगी का जाल फैलाता था, जहां बाहर आईएएस गौरव कुमार की नेम प्लेट, सरकारी पट्टिकाएं और हूटर लगी गाड़ियां खड़ी रहती थीं। साथ में 10-12 लोग बाडीगार्ड की तरह खड़े रहते थे। इसी तामझाम से लोग आसानी से विश्वास में आ जाते थे। यहीं नहीं ललित किशोर कई निजी स्कूलों में निरीक्षण कर चुका था और कई आयोजनों में चीफ गेस्ट बनकर शामिल हुआ था, जिससे उसकी विश्वसनीयता और बढ़ गई थी।
आरोपियों के पास से यह सामान बरामद
4,15,500 लाख रुपये कैश, भारी मात्रा में सोने-चांदी के आभूषण, पासपोर्ट, एटीएम, पासबुक-चेकबुक, लैपटॉप, मोबाइल, फर्जी आईडी कार्ड, मोहरें, नेम प्लेट, एआई आधारित कूटरचित अनुमोदन पत्र, टेंडर डॉक्यूमेंट।







