मौलाना अरशद मदनी के बयान पर अयोध्या के संतो महंतों ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया।
इस्लाम 1400 वर्ष पुराना है जबकि हमारे श्रीराम ही 9 लाख वर्ष पूर्व पैदा हुए-आचार्य सत्येंद्र दास मुख्य पुजारी राम जन्मभूमि।
.इस्लाम और ओम एक होते तो हमे काफिर क्यों कहा जाता -महंत राजू दास
जमीयत-उलेमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान के विरोध में भले ही दिल्ली से पहली आवाज उठी लेकिन यह आवाज अयोध्या तक पहुंच गई है और इसको लेकर अयोध्या के संतो महंतों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है ।
दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत-उलेमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि अल्लाह और ओम एक हैं राम जन्मभूमि की मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं मौलाना अरशद मदनी जो कह रहे हैं वह सरासर झूठ है इस्लाम केवल 1400 वर्ष पुराना है जबकि हमारे श्री राम का जन्म ही 9 लाख साल पहले हुआ था हमारे चारो वेदों की उत्पत्ति ही आदि से हुई है ।
वही हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास कहते है कि यह तलवार की नोक पर सलवार पहनने वाले लोग हैं इस्लाम में एक कौम एक मजहब एक संप्रदाय की बात होती है और हम को काफिर कहा गया है यही नहीं अगर इस्लाम शांति का प्रतीक होता अगर इस्लाम और ॐ का अर्थ एक होता तो इस्लाम को मानने वाले ॐ को मानने वालो का सिर कलम क्यों करते इसलिए मौलाना मदनी की भाषा ठीक नहीं है वह रोजी-रोटी चलाने के लिए इस तरह की अनर्गल बातें कर रहे हैं मौलाना मदनी को भी घर वापसी करनी पड़ेगी ।
BYTE- आचार्य सत्येंद्र दास ( मुख्य पुजारी राम जन्मभूमि )… अरशद मदनी जो कह रहे हैं की सबसे प्रथम इस्लाम आया है इस्लाम के शब्दों को जो उच्चारण कर रहे हैं यह बिल्कुल झूठ है इस्लाम आज से 1400 वर्ष पहले आया है इसके पहले इस्लाम का कोई नाम निशान नहीं था हमारे बहुत से संप्रदाय के बहुत से ग्रंथ और बहुत से सिद्धांत ऐसे हैं जो सृष्टि के आदि से आए हैं भगवान श्रीराम का ही जो जन्म हुआ है वही लगभग 9 लाख वर्ष पहले हुआ है ऐसी स्थिति में यह कह देना पहले यह हमारा जो इस्लाम है वह आया है उसकी आयते आई हैं यह झूठ है बिना प्रमाण के अपनी बात कह रहे हैं वसुधा हमारे यहां 4 वेद है चारों वेदों की उत्पत्ति आदि में हुई है वही चार वेद के माध्यम से जो संचालन हुआ है शब्दों का गुणों का धर्मों का और सनातन धर्म का इन सभी की व्यवस्था हुई है वह चारों वेदों से हुई है।
BYTE- राजू दास ( पुजारी हनुमानगढ़ी )… जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष अरशद मौलाना मदनी एक धर्म सम्मेलन कराया था दिल्ली में और दिल्ली में जो उनकी भाव भाषा थी कि पहले आदम आए सनातन को मानने वाले आदम से ही उत्पत्ति हुई है मैं मौलाना मदनी से सवाल पूछता हूं ओम और अल्लाह एक है ठीक है सारे ईश्वर एक हैं अनेक व्यवस्थाएं बनी है हम उस अनेक व्यवस्थाओं को स्वीकार करते हैं लेकिन इस्लाम की जो कट्टरता है मौलाना मदनी के पूर्वज बुजदिल थे और तलवार की नोक पर सलवार पहनने वाले लोग हैं इस्लाम में एक कोम एक मजहब एक संप्रदाय की बात होती है और हम को काफिर कहा गया इस्लाम में इस्लाम को मानने वाले कि जहां पर संख्या बढ़ती है वहां पर किसी कोम किसी मजहब किसी संप्रदाय के व्यक्ति सुरक्षित नहीं रह सकते प्रत्यक्ष उदाहरण अफगानिस्तान और पाकिस्तान हैं और बांग्लादेश है तमाम मुस्लिम कंट्री तो है ही हैं अभी जो वर्तमान में भारत से 100 वर्ष पहले कटे हैं उसकी स्थिति और परिस्थिति क्या है अगर इस्लाम शांति का प्रतीक होता अगर इस्लाम और ओम का एक अर्थ होता तो क्या ओम को मानने वाले सनातन को मानने वाले का सर कलम इस्लामिक कट्टरपंथियों के द्वारा क्यों होती है इस के नाते मौलाना मदनी का भाव और भाषा ठीक नहीं है और सनातन परंपरा आज से नहीं अनादि से चली आ रही है मौलाना मदनी अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए अनर्गल वार्तालाप करते हैं और इनको यह वार्तालाप बंद करना पड़ेगा सनातन आज के नहीं अनादि के हैं यह संस्कृति अखंडता और अखंड ही है और अखंड ही रहेगा मौलाना मदनी को भी पुनः घर वापसी करनी पड़ेगी सनातन में आना पड़ेगा क्योंकि सनातन हमेशा सर्वे भवंतु सुकना का कार्य करती है सनातन तलवार की नोक पर नहीं चलता सनातन आस्था की नोक पर चलती हैं और मौलाना मदनी का धर्म तलवार की नोक पर चलता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण पूरा विश्व है जिस प्रकार से आतंक व्याप्त है इस्लाम के कट्टरपंथी के द्वारा व्याप्त है यह प्रत्यक्ष उदाहरण है।