
आज 26जून से आरम्भ हो रही आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिवस की ब्रह्म मुहूर्त बेला में देश के सभी राज्यों में शतचण्डी महायज्ञ करने का संकल्प लेते हुए कलश की स्थापना कर गुप्त नवरात्रि में नवचण्डी महायज्ञ का आयोजन होगा जिसकी पूर्णाहुति 4 जुलाई को सम्पन्न कर देश के सभी राज्यों में शतचण्डी महायज्ञ के संकल्प का श्रीगणेश किया जाएगा पहला शतचण्डी महायज्ञ हरिद्वार में दूसरा असम में और तीसरा बंगाल में आयोजित करना सुनिश्चित किया गया है। बंगाल राज्य में शतचण्डी महायज्ञ सम्पन्न करने के बाद अन्य राज्यों में महायज्ञ की रूपरेखा तय की जाएगी हरिद्वार में 27 अगस्त भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी तिथि को नौ दिवसीय प्रथम शतचण्डी महायज्ञ का शुभारम्भ होगा।
देश के सभी राज्यों में आयोजित होने वाले महायज्ञ में श्री राकेश कुमार शुक्ल जी को यज्ञाचार्य की भूमिका के निर्वहन की जिम्मेदारी दी गई है। जानकारी देते हुए रामादल अध्यक्ष पण्डित कल्कि राम ने कहा कि महायज्ञ का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भारत के विरुद्ध रचे जा रहे कुचक्र को जड़ से उखाड़ फेंकना और भारत नवनिर्माण हेतु यशस्वी प्रधानमन्त्री जी के प्रयासों की शत प्रतिशत सफलता को सुनिश्चित करना है और यह तभी सम्भव है जब सम्पूर्ण सनातन समाज जात पात अमीर गरीब के भेदभाव को समाप्त कर अपनी एकजुटता को लेकर गम्भीर होगा। कलयुग की सबसे बड़ी शक्ति एकता ही है जिसका इस समाज में दिन ब दिन अभाव बढ़ता ही जा रहा है जो भावी पीढ़ी के स्वर्णिम सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध होगा। यज्ञ सनातन धर्म की सबसे अमोघ अचूक विद्या है जहां असम्भव के लिए कोई स्थान नहीं यज्ञ का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से होता है। शतचण्डी महायज्ञ राष्ट्रहित के निमित्त प्रयासों की सार्थकता के लिए वातावरण का सृजन करेगा।
ज्ञात हो कि धर्म नगरी श्रीअयोध्याजी में वर्ष 2014से प्रधानमंत्री मोदी के लिए वृहद स्तर पर धार्मिक महानुष्ठान संचालित है जिसमें नित्य प्रातः शिव अभिषेक के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के उत्तम स्वास्थ्य दीर्घायु जीवन दिव्य चिर यौवन की कामना करते हुए महामृत्युंजय मंत्र जप एवं सायं बेला में मोदीजी की सफलता एवं विरोधी गतिविधियों को जड़ से उखाड़ फेंकने की प्रार्थना करते हुए भगवती पीताम्बरा के अमोघ बगला ब्रह्मास्त्र महामंत्र जप आहुति दी जाती है साथ ही प्रत्येक सोमवार मौन रखकर उमापति महादेवजी की विशिष्ट उपासना का कर्म पूरे विधि विधान से किया जाता है।